अब छत्तीसगढ क़ा क्या होगा
सरकार मामला दबा रही
छत्तीसगढ़ राय बनने के बाद यहां के उच्च पदस्थ अधिकारियों और मंत्रियों ने चौतरफा लूट मचा रखी है और यही वजह है कि लोक आयोग जैसी संस्था में शिकायतों का ग्राफ बढता जा रहा है और सरकार खुद को बचाने किसी भी मामले में कार्रवाई नहीं कर रही है।
छत्तीसगढ़ राय निर्माण के बाद वैसे तो सरकार ने लोकायुक्त के मुकाबले लोक आयोग का गठन कर अपनी मंशा जाहिर कर दी थी कि वह अपने नेताओं और मंत्रियों को किस तरह से संरक्षण देना चाहते है और अब राय निर्माण के दस साल में यही सब हो भी रहा है। बताया जाता है कि लोक आयोग के पास लगभग 6 सौ मामले लंबित है। इनमें सरकार के कई महत्वपूर्ण मंत्री और अधिकारियों के नाम है। हालत यह है कि इन लोगों के खिलाफ मिली शिकायतों की ठीक से न तो जांच हो रही है और न ही जांच में सहयोग ही किया जा रहा है।
वैसे लोक आयोग ने पिछले साल दर्जनभर मामले में कार्रवाई के लिए राय सरकार से अनुशंसा भी की थी लेकिन पता चला है कि इस मामले में सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की है।
छत्तीसगढ़ में निर्माण के क्षेत्र में खासकर पीडब्ल्यूडी, पर्यटन, सिंचाई, स्वास्थ्य, खनिज और पंचायत विभाग में भारी भ्रष्टाचार करने की खबर है और मंत्री से लेकर अधिकारियों के खिलाफ मय सबूत शिकायतें की गई है लेकिन इन मामलों की जांच तक नहीं हो रही है इस संबंध में बताया जाता है कि सरकार जानबूझकर बल की कमी उत्पन्न कर रही है जिससे चौतरफा जांच प्रभावित हो वहीं सरकार के दबाव की भी चर्चा है।इधर पता चला है कि यदि लोक आयोग को सरकार छूट दें तो प्रदेश के आधा दर्जन मंत्री और दर्जनभर से अधिक अधिकारी कटघरे में जा सकते हैं। ऐसे में सरकार अपनी बदनामी से बचने आयोग की सिफारिशों को रद्दी की टोकरी में फेंक रही है। दूसरी तरफ इस बार बजट सत्र में रिपोर्ट नहीं पेश करने को लेकर भी सरकार कटघरे में है और कहा जा रहा है कि मानसून सत्र में रिपोर्ट पेश की जाएगी। बहरहाल लोक आयोग पर दबाव को लेकर रमन सरकार कटघरे में है और कहा जाता है कि प्रदेश के भ्रष्ट मगरमच्छों को बचाने की कोशिश हो रही है।