बलात्कारी भाजपाई हो तो प्रदर्शन करना भी गुनाह.
2014 के बाद जिस नये भारत का दावा किया गया था उस भारत में क्या बलालारियों की जाति और धर्म देखकर सजा का प्रावधान है। क्या भाजपाई बलात्कारी हो तो उसे पैरोल में भी छोड़ा जायेगा और उसका स्वागत सत्कार भी होगा और क्या ऐसे बलात्कारियों के खिलाफ प्रदर्शन करना गुनाह है।
यह सवाल अब इसलिए बड़ा होने लगा है क्योंकि बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय ने विश्वविघालय कैम्पस में बलात्कार करने वाले भाजपाईयों के खिलाफ प्रदर्शन करने वाले 13 छात्र-छात्राओं को तीन माह के लिए अनुशासनहीनता के नाम पर निलंबित कर दिया है।
इस मामले को लेकर विपक्ष मोदी और योगी सरकार पर हमलावर है। लेकिन इस दौर में जिस तरह से बड़े लक्ष्य के नाम पर सत्ता , बलात्कारियों को संरक्षण दे रही है उसने बेशर्मी की सभी हदे लांघ दी है या बेशर्मी की पराकाष्ठा कहा जाए तब भी गलत नहीं होगा।
वैसे भी यदि व्यक्ति कितना भी प्रतिभाशाली हो लेकिन वह शासन तंत्र के प्रभाव में काम करता है तो सत्ता से उन्हें सम्मान प्राप्त हो ही जाता है।
बनारस विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सुधीर के जैन को राष्ट्रपति श्री कोविद के हाथों पद्म श्री तो मिल ही चुका है, वे बनारस में कुलपति बनने से पहले गांधी नगर गुजरात के प्रोद्योगिकी विश्वविद्यालय के डायरेक्टर भी थे। यानी आप समझ लें।
अब 13 छात्र-छात्राको के निलंबन को लेकर मचे बवाल के बीच कथित बड़े उद्देश्य के लिए किये गये कुछ कारनामों का जिक्र ज़रूरी है-
- कठुआ में मासूम बच्ची के बलालारियों का सम्मान
- गुजरात में बिल्किस बानो के दर्जन भर बलात्कारियों की समय पूर्व रिहाई और सम्मान
- देश का नाम रौशन करने वाली बेटियो के यौन शोषण के आरोपी बृजभूषण शरण सिंह को संरक्षण और उनके बेटे को सांसद की टिकिट
- बलात्कारी राम रहीम को दर्जन भर से अधिक बार पैरोल पर रिहाई
ये बड़े काम है बाकि देश भर में ऐसे कई काम चल ही रहे हैं !
ताजा मामला जग्गी वासदेव को सुत्री कोर्ट से करवाए।