बुरी तरह घिर गये विजय शर्मा गृहमंत्री
छत्तीसगढ़ के उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा के सामने दोहरी चुनौति खड़ी हो गई है एक तरफ़ प्रदेश में कानून व्यवस्था की बदतर होती स्थिति से निपटने की चुनौति है तो दूसरी तरफ पार्टी के भीतर उनके बढ़ते विरोधियों को संभालने की।
हिन्दू ध्रुवीकरण की राजनीति के आसरे पहली बार विधायक बने विजय शर्मा को उपमुख्यमंत्री के साथ गृह विभाग जैसे सबसे महत्वपूर्ण विभाग दिया गया तो इसके पीछे की राजनीति को आसानी से समझा जा सकता है। क्योंकि बीजेपी को यही रास आता है।
कहा जाता है कि मुख्यमंत्री की दौड़ में सबसे आगे होने के बावजूद पिछड़ जाने की बड़ी वजह रमन सिंह को बताया जा रहा है, लेकिन उनकी राजनैतिक विरोधियों की संख्या दिनों दिन बढ़ते ही जा रही है तो इसकी वजह उनका मोहन सेठ से नजदिकियों को माना जा रहा है।
सूत्रों का कहना है कि बलौदा बाजार कांड के बाद हुए मॉब लिंचिंग की घटना के बाद वे हिन्दुवादी संगठनों के निशाने पर भी आ गये है । ऐसे में सबसे बड़ा सवाल तो प्रदेश के कानून व्यवस्था की बिगड़ती स्थिति को लेकर उठने लगा है। और वसूली में अभ्यस्त हो चुके पुलिस को संभालना एक अलग ही चुनौतीपूर्ण कार्य है।
बताया जाता है कि पार्टी के भीतर ही अब विजय शर्मा के खिलाफ गोलबंदी शुरु हो गई है तो इसकी बड़ी वजह पार्टी में कोयला, शराब और दूसरे क़िस्म के माफिया खासकर सरकारी विभाग में सप्लाई करने वालों का बढ़ता प्रभाव है। और ऐसे माफियाओं के साथ यदि विधायक और संगठन के ज़िम्मेदारों के खड़े होने की चर्चा है तब क़ानून व्यवस्था को संभालना आसान भी नहीं है।
सूत्रों की माने तो प्रदेश में बिगड़ती कानून व्यवस्था के लिए यही लोग जिम्मेदार है। तब राज्य में मौजूद प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस को साधने की एक अलग ही चुनौती है।
कांग्रेस ने तो प्रदेश में बिगड़ती कानून व्यवस्था को लेकर विधानसभा घेराव का निर्णय मी कर लिया है और प्रदेश अंग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने जिस तरह की रणनीति बनाई है उसका असर तो बाद में देखने को मिलेगा, लेकिन इन दिनों कांग्रेस ने अपने पदाधिकारियों के खिलाफ हो रही काविाई की वजह से आक्रमक मुद्रा में है तो इसकी वजह मुख्यमंत्री के सलाहकारों की उदासिनता को माना जा रहा है।
ऐसे में प्रदेश में जिस तरह से नशे के कारोबारियों ने शासन-प्रशासन में अपनी घुसपैठ बना रखी है उसे लेकर भी कई तरह की चर्चा है तो दुसरी तरफ पार्टी संगठन में दागी अफसरों के साथ खड़े होने वाले दलालों की सक्रियता ने भी गुटबाजी को हवा दी है।
बहरहाल गृहमंत्री विजय शर्मा बुरी तरह से फँस गए है और इससे निकलना अब बड़ी चुनौति है।