वाह भाई! सरकार हो तो ऐसी हो! छत्तीसगढ़ की सरकार ने विधानसभा तक में कह दिया कि छत्तीसगढ़ से कोई पलायन नहीं होता। सरकार के इस दावे के पीछे तर्क था कि वह यहां के लोगों को न केवल दो रूपये किलो चावल दे रही है बल्कि रोजगार के पूरे साधन उपलब्ध करा रही है। सरकार के इस दावे पर स्वयं शासकीय अधिकारी भी गुण गान करते नहीं थकते थे। यहां तक कि रमन राज पर प्रशंसा के कसीदे पढ़ने वालों की भी कमी नहीं है जबकि आखबार सरकार की विफलता के उसके करतूतों के इतने खबरें छाप रहे हैं कि हर दिन एक ... सौ पृष्ठों की किताबें लिखी जा सकती है। वैसे इस सरकार के लोगों के पास अपनी बातें कहने या अफवाह फैलाने का अदम्य साहस है और झूठ को सच कहने के इस साहस का मैं शुरू से प्रशंसक रहा हूं।
गणेश भगवान को दूध पिलाने की बात हो या अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की बात हो। भ्रष्टाचार के खिलाफ खड़े होने का दावा हो या अल्पसंख्यक के दुश्मन के रूप में प्रस्तुति की बात हो 50 साल बनाम 5 साल के इनके नारो से आम लोगों को अपनी ओर खीचने की ताकत शायद इसी पार्टी में है। तभी तो लोग चिल्लाते रहे कि दो रूपया किलों चावल .... लोगों में बंट रहा है। गरीबी के सरकारी आंकड़े झूठे हैं लेकिन सरकार अपनी बातों पर तब तक अडिग रही जब तक फर्जी राशन कार्ड के मामले पकड़े नहीं गये अब जब कालाबाजारियों ने करोड़ों कमा लिये तब सरकार जाग रही है।
यही हाल पलायन के मुद्दे पर है। सरकार का दावा है कि वह गांव गांव में काम दे रही है पलायन का सवाल ही नहीं है। लेकिन यह सत्य पता नहीं सरकार को कैसे नहीं मालूम है कि पंचायत सचिव और संबंधित विभाग किस तरह से मजदूरों के नाम पर पैसा हड़प रहे हैं। कागजों में बनते सड़क और सरकारी भवनों की तरफ से इसलिए आंखे मूंदली जाती है कि ठेका लेने वाले उनके लोग सरपंच सचिव उनकी पार्टी के प्रतिनिष्ठा रखते हैं।
लेकिन कहा जाता है कि झूठ और अफवाह यादा दिन नहीं टिकते और अब राममंदिर के प्रति कथित निष्ठा की तरह सब कुछ सामने है। लेह में आई तबाही ने छत्तीसगढ़ सरकार के पलायन को लेकर किये गए दावे की सच्चाई सबके सामने खोलकर रख दी है।
अब भी समय है सरकार अखबारों की खबरों को संज्ञान में लेकर कार्रवाई करना शुरू कर दे तो आम जनता का राज आ जायेगा। सरकार को इस बात का भी ध्यान रखना होगा कि उसके किस मंत्री की क्या रूचि है। देखते ही देखते 2-5 हजार करोड क़ा ... बनने वालों को सरकार छोड़ सकती है और कहने को वह बचा भी सकती है लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि उपर वाले से कोई नहीं बच सका है और बद्दूआंए काम करती ही है।
http://midiaparmidiaa.blogspot.in/
शुक्रवार, 20 अगस्त 2010
छत्तीसगढ़ में कौन सी भाजपा का शासन है...
क्वीन बेटन को लेकर पूरे छत्तीसगढ़ में जो उत्साह का वातावरण बना वह यहां के लोगों के खेल भावना का घोतक है लेकिन पूरे देश में क्वीन बेटन का विरोध करने वाली भाजपा का छत्तीसगढ़ में बढ़चकर हिस्सा लेने से यह सवाल उठने लगा है कि क्या भाजपा में हाईकमान और पार्टी निर्देश छत्तीसगढ़ में बेमानी है या फिर यहां किसी और भाजपा का शासन है।
क्वीन बेटन दरअसल राष्ट्रमंडल खेल का वह मशाल है जो हर आयोजन के पहले राष्ट्रमंडलीय देशों में भ्रमण करता है। दिल्ली में इस बार इसका आयोजन है और क्वीन बेटन के उद्देश्य के प्रचार प्रसार के लिए इसे पूरे देश में घुमाया जा रहा है।
देश का प्रमुख राजनैतिक दल भारतीय जनता पार्टी इस मशाल को गुलामी का प्रतीक बताते हुए इसके भ्रमण की तीखी आलोचना की है। दिल्ली से लेकर झारखंड हो या बिहार से लेकर उत्तर प्रदेश हर जगह भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता इसके विरोध में खड़े हो गए है और अपना आक्रोश प्रकट भी कर रहे है।
छत्तीसगढ़ में इसके आगमन की बात हुई तो लगा कि यहां भी भाजपा इसका विरोध करेगी और सरकार होने की वजह से क्वीन बेटन के रास्ते या तो बदल दिये जायेंगे या फिर छत्तीसगढ से ये चुपचाप गुजर जायेगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ। क्वीन बेटन पर न केवल भाजपाई बल्कि डॉ. रमन सिंह सरकार ने बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया।
भाजपा की इस दोगली नीति को लेकर भाजपा के ही कई कार्यकर्ता नाराज है। भाजपा के एक नेता ने तो नाम नहीं छापने की शर्त पर कहा कि मंदिर मुद्दे की दोगलाई ने हमें केन्द्र से ढकेल दिया इसके बाद भी हम नहीं सुधर पाये हैं। उन्होंने यहां तक कहा कि हाईकमान के विरोध के बावजूद जिस तरह से पूरी सरकार यहां क्वीन बेटन के स्वागत में पलक ....बिछाई रही वह आश्चर्य जनक है।
इसी तरह आर एस एस से जुड़े एक नेता ने कहा कि यह विडंम्बना है कि किसी मुद्दे पर हम एक नहीं हो पा रहे हैं जिसकी वजह से भाजपा की छिछालेदर हो रही है। अब तो यह सवाल उठने लगा है कि जहां-जहां भाजपा की सत्ता है क्या वहां वहां भाजपा के नेता अपने हिसाब से काम करेंगे।
बहरहाल इस मामले को लेकर आम लोगों में भी भाजपा की इस राजनीति की काफी तीखी प्रतिक्रिया है कुछ तो हाईकमान तक से सरकार की शिकायत करने का मन बना चुके है और गडकरी के सामने भी बात लाई जेयेगी।
क्वीन बेटन दरअसल राष्ट्रमंडल खेल का वह मशाल है जो हर आयोजन के पहले राष्ट्रमंडलीय देशों में भ्रमण करता है। दिल्ली में इस बार इसका आयोजन है और क्वीन बेटन के उद्देश्य के प्रचार प्रसार के लिए इसे पूरे देश में घुमाया जा रहा है।
देश का प्रमुख राजनैतिक दल भारतीय जनता पार्टी इस मशाल को गुलामी का प्रतीक बताते हुए इसके भ्रमण की तीखी आलोचना की है। दिल्ली से लेकर झारखंड हो या बिहार से लेकर उत्तर प्रदेश हर जगह भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता इसके विरोध में खड़े हो गए है और अपना आक्रोश प्रकट भी कर रहे है।
छत्तीसगढ़ में इसके आगमन की बात हुई तो लगा कि यहां भी भाजपा इसका विरोध करेगी और सरकार होने की वजह से क्वीन बेटन के रास्ते या तो बदल दिये जायेंगे या फिर छत्तीसगढ से ये चुपचाप गुजर जायेगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ। क्वीन बेटन पर न केवल भाजपाई बल्कि डॉ. रमन सिंह सरकार ने बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया।
भाजपा की इस दोगली नीति को लेकर भाजपा के ही कई कार्यकर्ता नाराज है। भाजपा के एक नेता ने तो नाम नहीं छापने की शर्त पर कहा कि मंदिर मुद्दे की दोगलाई ने हमें केन्द्र से ढकेल दिया इसके बाद भी हम नहीं सुधर पाये हैं। उन्होंने यहां तक कहा कि हाईकमान के विरोध के बावजूद जिस तरह से पूरी सरकार यहां क्वीन बेटन के स्वागत में पलक ....बिछाई रही वह आश्चर्य जनक है।
इसी तरह आर एस एस से जुड़े एक नेता ने कहा कि यह विडंम्बना है कि किसी मुद्दे पर हम एक नहीं हो पा रहे हैं जिसकी वजह से भाजपा की छिछालेदर हो रही है। अब तो यह सवाल उठने लगा है कि जहां-जहां भाजपा की सत्ता है क्या वहां वहां भाजपा के नेता अपने हिसाब से काम करेंगे।
बहरहाल इस मामले को लेकर आम लोगों में भी भाजपा की इस राजनीति की काफी तीखी प्रतिक्रिया है कुछ तो हाईकमान तक से सरकार की शिकायत करने का मन बना चुके है और गडकरी के सामने भी बात लाई जेयेगी।
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