गांवों में राज ...
छत्तीसगढ़ के गांवों की दशा बदतर हैं। सरकार हर साल की तरह इस साल भी 'ग्राम सुराजÓ में निकल पड़ी हैं। बकौल मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह 'खामियों से मिलता हैं बेहतर रास्ताÓ ही ग्राम सुराज अभियान की वजह हैं।
लेकिन छत्तीसगढ़ में इस अभियान के औचित्य पर ही सवाल उठने लगे हैं। विज्ञापन के रुप में करोड़ो खर्र्च करने के बाद क्या गांवों की दशा सुधर जायेगी। दरअसल सरकार की सोच छत्तीसगढ़ के विकास की है ही नहीं हैं। वरना पिछले सात साल के शासन में एक तो ऐसी योजना होती जिससे गांव में सुराज दिखता। हद तो यह है कि सरकार गांव वालों को लोकतंत्र के मायने ही नहीं समझा पाई हैं। शिकायतों के पुलिन्दों को विभागो में भेज देना और इसे निराकरण बताकर राजनैतिक लाभ लेना ही ग्राम सुराज का एकमात्र उद्देश्य रह गया हैं।
वास्तव में सरकारे चाहती है कि छत्तीसगढ़ का विकास हो तो उसे गांववालों के विकास के लिए एक ऐसी योजना बनानी चाहिए जिससे हर व्यक्ति को स्वास्थ्य शिक्षा और पानी उपलब्ध हो जाये। आजादी के 7 दशक बाद जब ये तीन चीजे ही गांव वालों को मयस्सर नहीं हो पाया हैं। तब भला गांव में सुराज कैसे आ पायेगा।
हम बार-बार कह चूके है कि ग्राम सुराज हमें सरकारी नौटंकी से ज्यादा कुछ नजर नहीं आता। हो सकता है हमारी इस बात से बहुत से लोग इत्तेफाक नहीं रखते हो लेकिन ग्राम सुराज का खेल सालों से चल रहा है सरकार कितने गांवों में मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध करा पाई हैं। वास्तव में सरकार इस अभियान के जरिये पटवारियों व पुलिस वालों पर नकेल कसने की ढिंढोरा भर पिटती हैं। ताकि गांव वाले पानी-चिकित्सा और शिक्षा की तरफ ध्यान ही न दें। ग्राम सुराज में आने वाले आवेदनों को देख के लगता है कि लोगों को ग्राम सुराज का मतलब भी सड़क स्कुल और पटवारी-पुलिस की शिकायत ही समझाया गया हैं।
वास्तव में ग्राम सुराज का मतलब छोटे कर्मचारियों को बदनाम करना या प्रताडि़त ही रह गया हैं जबकी इतने सालों के ग्राम सुराज के बाद सरकार को ऐसी योजना बनानी चाहिए थी कि हर ब्लाक मुख्यालय में सर्वसुविधायुक्त अस्पताल हो जाए, उच्च शिक्षा के पर्याप्त साधन हो और गांव-गांव में पीने का साफ पानी उपलब्ध हो जाए।
सरकार किसी की भी हो किसी ने भी इस ओर ध्यान नहीं दिया कि आखिर गांव वालों को शहर की तरह सुविधा कैसे दी जाए। न ही गांव वालों के प्रतिनिधित्व करने वाले प्रतिनिधियों ने ही इस ओर सोचा। जीतते ही राजधानी में घर पा लेने के बाद चुनाव जीतना ही उद्देश्य रह गया है। ग्राम सुराज को लेकर मुख्यमंत्री की इस बेहतर रास्ते सिर्फ डायलॉक न बने बल्कि गांव वालों को बेहतर सुविधा मिले। तभी गांव में सुराज आयेगी।
छत्तीसगढ़ के गांवों की दशा बदतर हैं। सरकार हर साल की तरह इस साल भी 'ग्राम सुराजÓ में निकल पड़ी हैं। बकौल मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह 'खामियों से मिलता हैं बेहतर रास्ताÓ ही ग्राम सुराज अभियान की वजह हैं।
लेकिन छत्तीसगढ़ में इस अभियान के औचित्य पर ही सवाल उठने लगे हैं। विज्ञापन के रुप में करोड़ो खर्र्च करने के बाद क्या गांवों की दशा सुधर जायेगी। दरअसल सरकार की सोच छत्तीसगढ़ के विकास की है ही नहीं हैं। वरना पिछले सात साल के शासन में एक तो ऐसी योजना होती जिससे गांव में सुराज दिखता। हद तो यह है कि सरकार गांव वालों को लोकतंत्र के मायने ही नहीं समझा पाई हैं। शिकायतों के पुलिन्दों को विभागो में भेज देना और इसे निराकरण बताकर राजनैतिक लाभ लेना ही ग्राम सुराज का एकमात्र उद्देश्य रह गया हैं।
वास्तव में सरकारे चाहती है कि छत्तीसगढ़ का विकास हो तो उसे गांववालों के विकास के लिए एक ऐसी योजना बनानी चाहिए जिससे हर व्यक्ति को स्वास्थ्य शिक्षा और पानी उपलब्ध हो जाये। आजादी के 7 दशक बाद जब ये तीन चीजे ही गांव वालों को मयस्सर नहीं हो पाया हैं। तब भला गांव में सुराज कैसे आ पायेगा।
हम बार-बार कह चूके है कि ग्राम सुराज हमें सरकारी नौटंकी से ज्यादा कुछ नजर नहीं आता। हो सकता है हमारी इस बात से बहुत से लोग इत्तेफाक नहीं रखते हो लेकिन ग्राम सुराज का खेल सालों से चल रहा है सरकार कितने गांवों में मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध करा पाई हैं। वास्तव में सरकार इस अभियान के जरिये पटवारियों व पुलिस वालों पर नकेल कसने की ढिंढोरा भर पिटती हैं। ताकि गांव वाले पानी-चिकित्सा और शिक्षा की तरफ ध्यान ही न दें। ग्राम सुराज में आने वाले आवेदनों को देख के लगता है कि लोगों को ग्राम सुराज का मतलब भी सड़क स्कुल और पटवारी-पुलिस की शिकायत ही समझाया गया हैं।
वास्तव में ग्राम सुराज का मतलब छोटे कर्मचारियों को बदनाम करना या प्रताडि़त ही रह गया हैं जबकी इतने सालों के ग्राम सुराज के बाद सरकार को ऐसी योजना बनानी चाहिए थी कि हर ब्लाक मुख्यालय में सर्वसुविधायुक्त अस्पताल हो जाए, उच्च शिक्षा के पर्याप्त साधन हो और गांव-गांव में पीने का साफ पानी उपलब्ध हो जाए।
सरकार किसी की भी हो किसी ने भी इस ओर ध्यान नहीं दिया कि आखिर गांव वालों को शहर की तरह सुविधा कैसे दी जाए। न ही गांव वालों के प्रतिनिधित्व करने वाले प्रतिनिधियों ने ही इस ओर सोचा। जीतते ही राजधानी में घर पा लेने के बाद चुनाव जीतना ही उद्देश्य रह गया है। ग्राम सुराज को लेकर मुख्यमंत्री की इस बेहतर रास्ते सिर्फ डायलॉक न बने बल्कि गांव वालों को बेहतर सुविधा मिले। तभी गांव में सुराज आयेगी।