शनिवार, 23 फ़रवरी 2019

अडानी का विकास सरगुजा का विनाश


0 परसा कोल ब्लॉक के नाम पर जंगल व आदिवासियों की बर्बादी
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सामाजिक कार्यकर्ता प्रताडि़त कई आदिवासी जेल में 
0 नदी प्रदूषित, अवैध रुप से जंगल काटे जा रहे हैं
0 जमीन ले ली न नौकरी दी न मुआवजा
0 मोदी के कार्पोरेट प्रेम का नजारा
0 बरबाद होते जल जंगल जमीन पर खामोशी
0 वन्य जीवों के लिए मुसीबत
0 सरकार बदली पर अडानी की सत्ता बरकरार
0 टीएस बाबा भी निशाने पर, उनका विस क्षेत्र 
0 दस गांव के लोग आंदोलित

छत्तीसगढ़ के सरगुजा इलाके में मोदी सरकार ने जिस तरह से अपने कार्पोरेट प्रेम का उदाहरण देते हुए तमाम आपत्ति के बावजूद अडानी ग्रुप को परसा कोल ब्लॉक में खनन का ठेका दे दिया उससे पूरा इलाका बरबाद होने लगा है वन्य प्राणियों के लिए तो यह क्षेत्र मुसिबत तो बना ही है आदिवासियों के सामने उजड़ जाने का संकट खड़ा हो गया है। बरबाद होते जल जंगल जमीन के लिए नियमों की ही नहीं संविधान के मूल भावना का भी उल्लघन किया जा रहा है। एक तरफ कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सहित कई नेता सीधे अडानी पर हमला कर रहे हैं तो दूसरी तरफ अडानी के उत्याचार का विरोध करने वालों को पिट कर जेल में ठूंसा जा रहा है। नदी प्रदूषित होने लगा है। अवैध रुप से जंगल काटे जा रहे हैं, जमीन ले ली लेकिन नौकरी नहीं दी और टीएस बाबा का प्रेम के चलते इस अत्याचार के खिलाफ दस गांव के आदिवासियों में आंदोलन की तपीश साफ महसूस की जा सकती है। (एक रिपोर्ट)
सरगुजा के उदयपुर का यह इलाका इन दिनों कोल ब्लॉक के धमाके से थर्राता हुआ साफ संकेत दे रहा है कि राज्य में सत्ता तो बदली लेकिन अडानी की सत्ता अब भी बरकरार है। परसा कोल ब्लॉक के नाम पर जिस तरह से जंगल व आदिवासियों को बरबाद किया जा रहा है उसका कोई विरोध भी नहीं कर सकता क्योंकि विरोध करने वालों को न केवल मारा पिटा जाता है बल्कि जेल में बंद करवा दिया जाता है। पूरे इलाके में भय का वातावरण है और पहले ही विकास से वंचित आदिवासी समाज अपने घर से बेदखल होने को मजबूर है।
दरअसल यह दर्दनाक कहानी मोदी सरकार के उस नीति से शुरु होती है जिसके तहत बगैर राज्य की मर्जी के केन्द्र सरकार किसी को भी कोयला ब्लाक का आबंटन कर सकती है और इसके लिए मोदी सरकार ने तत्कालीन भाजपा शासित राज्य राजस्थान को माध्यम बनाया। राजस्थान बिजली निगम को केवल 24 फीसदी का भागीदार बनाकर अडानी को सरगुजा में परसा कोल ब्लाक आबंटन कर जल जंगल जमीन आदिवासियों और वन्य जीवों को बरबाद करने की जो छूट दी गई वह सभ्य समाज के लिए शर्मनाक है। तब राज्य में रमन सिंह की सरकार थी और रमन राज के शह में अडानी ने जल जंगल जमीन को बरबाद करने का ऐसा कुचक्र किया जिसमें आदिवासी भी बरबाद होने लगे। कुचक्र कर आदिवासियों की जमीने छीनी जाने लगी। उन्हें भरपूर मुआवजा और परिवार के एक व्यक्ति को नौकरी देने के नाम पर ठगा गया। पक्का मकान का लालच दिया गया और जमीन लेने फर्जी तरीके से जन सुनवाई की गई। अडानी के इस अत्याचार का जब सामाजिक कार्यकर्ताओं और आदिवासियों ने विरोध किया तो उन्हें रमन सरकार के इशारे पर पुलिस ने शांति भंग करने का आरोप लगाकर पिटने लगी और जेल में ठूंसने लगी।
बरबाद होते जल जंगल जमीन और आदिवासी प्रताडऩा को लेकर तब कांग्रेस ने सीधे मोदी और अडानी पर हमले किये यहां तक कि राहुल गांधी और भूपेश बघेल ने अपने हर भाषण में अडानी और मोदी के गठजोड़ की सीधे हमले किये और यह हमला अब भी जारी है। हालांकि अडानी के मामले में उस क्षेत्र के विधायक टीएस सिंहदेव का रुख नमर रहा लेकिन अपना सब कुछ बरबाद होते देख रहे आदिवासियों को भूपेश बघेल से उम्मीद है।
सूत्रों की माने तो इस क्षेत्र को पहले राज्य सरकार हाथी अभ्यारण प्रोजेक्ट के लिए सुरक्षित रखा था और तत्कालीन वन सचिव ने यहां कोल ब्लॉक के लिए आबंटित करने की मंशा पर आपत्ति भी की थी लेकिन कहा जाता है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जब अडानी को यह क्षेत्र कोल ब्लॉक के लिए देने की घोषणा की तो रमन सरकार खामोश रह गई।
दूसरी तरफ राहुल गांधी आदिवासियों और किसानों के हित में बात करते रहे और इस भरोसे का नतीजा है कि भाजपा को छत्तीसगढ़, राजस्थान और मध्यप्रदेश में हार का मुंह देखना पड़ा। भाजपा की सत्ता जाते ही अडानी को गरियाने वाले भूपेश बघेल मुख्यमंत्री बन गये अब देखना है कि वे इस मामले को किस तरह से निपटते है जबकि मोदी सरकार परसा कोल ब्लॉक के बाजू की जमीन भी अडानी को देने की तैयारी कर रही है।
कौशल तिवारी