हिन्दू महासभा ने रखी थी संघ कि नींव…
यह बात बहुत कम लोगों को मालूम होगा कि आरएसएस की स्थापना हिंदू महासभा के उन नेताओं ने करवाई जो मदन मोहन मालवीय के प्रभाव में अपनी बात शायद नहीं रख पाते रहे होंगे, लेकिन शायद हिंदू महासभा से अलग दिखाने की कोशिश में यही प्रचारित किया गया कि आरएसएस की स्थापना के बी हेगडेवार ने किया , हेगडेवार ने इसकी घोषणा ज़रूर की और वे आजीवन मुखिया भी रहे ।
आरएसएस के गठन में कौन कौन शामिल थे और हिंदू महासभा की क्या भूमिका थी यह बताये उससे पहले इसके गठन के समय देश की परिस्थिति को जानना ज़रूरी है…
आर एस एस की स्थापना ऐसे समय में हुई जब देश ब्रिटिश अत्याचार के चरम को झेल रहा था। राष्ट्रीय स्वतंत्रता आन्दोलन को छिन्न-भिन्न करने ब्रिटिश हुकुमत का बंगाल विभाजन के फैसले को लेकर हिन्दू-मुस्लिम एकता में दरार डालने की कोशिश का असर होने लगा था।
1906 में सबसे पहले मुसलमानों का एक संगठन बन गया, मुस्लिम लीग । जिन्हें लगता था कि भारत पर मुसलमानो का अधिकार है, और वे मुस्लिम हित की आड़ लेकर अंग्रेजों के साथ मिलकर अलग राह चुनने भी लगे ।
कहा जाता है कि मुस्लिम लीग के गठन के बाद भी निष्कंटक राज्य चलाने को लेकर अंग्रेज आस्वस्त नहीं थे, क्योंकि कांग्रेस का जन आन्दोलन बड़ा होता जा रहा था और कांग्रेस के साथ अब भी बड़ी संख्या में मुसलमान जुड़े हुए थे।
ऐसे में हिन्दू महासमा का गठन भी हो गया। अब राष्ट्रीय आदोलन से जुड़े हिंदू और मुसलमानों का एक बड़े वर्ग को धर्म के आधार पर बाँटने की ब्रिटिश सोच को परवान चढ्ने लगा।
स्वाभाविक तौर पर नाम के अनुरुप मुस्लिम लीग और हिन्दू महासमा का जो भी आंदोलन होता वह अपने धर्म के अनुरूप होता।
कहा जाता है कि इस बीच हिन्दू महासमा में में बीएस मुंजे ताकतवर हो गये और फिर आर एस एस की स्थापना की नींव रखी गई।आरएसएस
की स्थापना में बी एस मुंजे की महत्वपूर्ण भूमिका रही ।आरएसएस की स्थापना हिन्दूमहासभा ने की कहा जाय तो गलत इसलिए नहीं होगा क्योंकि प्रारंभिक बैठक में हेगडेवार के अलावा हिन्दू महासभा के चार नेता बीएस मुजे, गणेश सावरकर, एल वी परांजपे और बीबी ठोकलकर के बीच हुई थी।
हालाँकि अब संघ कभी हिंदूमहासभा की भूमिका को स्वीकार नहीं करेगा क्योंकि वह प्रारंभ से स्थापना की श्रेय हेगडेवार को ही देता आया है जबकि हेगडेवार ने घोषणा की थी और वे इसके प्रथम प्रमुख थे ।