शनिवार, 23 अक्तूबर 2010

पर कोई बोलता नहीं...

पूरे छत्तीसगढ़ को मालूम है कि यहां उद्योगपतियों ने सरकार के साथ मिलकर या सरकार के संरक्षण में जल
प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री अजीत प्रमोद कुमार जोगी ने लगातार कम होती जमीनों और उद्योगों की दादागिरी व सरकार की मनमानी पर ऐसे चिंता जता रहे थे मानों यह सब नई बात हो। अजीत जोगी नि
, जंगल और जमीन को लूट रहे हैं। अवैध कब्जा की बात हो या अवैध उत्खनन सब कुछ सरकार की जानकारी में हो रहा है। आम लोग तो कभी बोलते नहीं है और जब कोई बोलता है तो उसे वर्दी वाले गुण्डों के सहारे चुप करा दिए जाते हैंं।:संदेह मॉस लिडर हैं उन्हें प्रदेश में चल रही सरकारी अंधेरगर्दी की पल पल की खबर भी है लेकिन उनकी चिंता भी सिर्फ राजनैतिक हो कर रह गई है। वे बस्तर में ट्रेन के लिए आंदोलन तो कर लेते हैं लेकिन गरीब आदिवासियों व किसानों की छिनती जमीन पर आंदोलन इसलिए नहीं करते क्योंकि इस आंदोलन से उद्योगपति नाराज हो जाएंगे। वे अधिकारी भी नाराज हो जाएंगे जो उद्योगपतियों की गोद में बैठकर अपनी सुख सुविधा का साधन जुटा रहे हैं। उनकी चिंता तो अब स्वयं पत्नी व पुत्र तक सिमट कर रह गया है। कांग्रेस की राजनीति ने क्या छत्तीसगढ़ को कम बर्बाद किया है जो भाजपाई राजनीति को कोसा जाए?विकास के नाम पर जिस तरह से सडक़ों व भवनों का जाल बिछाया जा रहा है क्या इससे छत्तीसगढ़ का विकास होगा। बल्कि गांव-गांव में सडक़ें बनाने का मतलब शोषण के नए रास्ते खोलना है। हमारे पत्रकार मित्र कमल शुक्ला ने पिछले हफ्ते इसी तरह की बात कही है। प्रदेश में भूख से कोई न मरे इसकी जिम्मेदारी सरकार की है और सरकार की यह भी जिम्मेदारी है कि आने वाले पीढि़ नशे के गर्त में न चला जाए लेकिन रुपया किलो चावल और गांव-गांव में खुलते शराब दुकानों ने छत्तीसगढ़ की आने वाली पीढिय़ों को बर्बाद कर रही है और यह सब सरकार की नीति की वजह से है। इस पर न तो कोई बोलता है और न ही कोई प्रदेशव्यापी आंदोलन करता है क्योंकि जब प्रदेश का गृहमंत्री ननकीराम कंवर स्वीकार कर चुके हैं कि शराब माफिया के गुण्डे थाना चलाते है तब भला इससे बुरी बात और क्या होगी। कांग्रेसी भी इन शराब माफियाओं के साथ मिलकर चल रहे हैं वे भी इन शराब माफियाओं से अवैध उगाही करते हैं तथा एक सांसद के तो शराब माफियाओं से पार्टनरशिप की कहानी पूरा छत्तीसगढ़ जानता है।

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