'मैं और मेरा प्रेस क्लब राजधानी रायपुर के पत्रकारों का जीवंत दस्तावेज है, इतिहास की गवाही है। पूरे देश में प्राय: हर शहर में प्रेस क्लब है। परन्तु प्रेस क्लब पर लिखी यह पहली पुस्तक है। जिसमें कौशल तिवारी ने प्रेस क्लब से अपने संबंधों को रेखांकित तो किया ही है। पत्रकारिता के मूल्यों व आदर्शों के उच्चमाप दण्ड पर प्रकाश डालने की कोशिश की है।
रायपुर प्रेस क्लब की अपनी गरिमा है। यहां की सदस्यता आज भी गौरव की बात है। विषम और विकराल होते समय में जब बाजारवाद से कोई नहीं बच सका है। पत्रकारिता के मूल्यों को लेकर सर्वत्र चिंता है ऐसे में यह पुस्तक नई पीढ़ी के लिए धरोहर की तरह है। पुस्तक की जीवंतता और तथ्यों का लाभ नई पीढिय़ों को मिलेगा यह निश्चित है।
अगली सदी पत्रकारिता की संवेदनशीलता और मापदंड की होगी या बाजारवाद की काली छाया, जहां संवेदना का मतलब सिर्फ पैसा होग? यह सोचने में क्या नुकसान है। कोई भी एक चीज हावी होगा तो दूसरा कमजोर होगा। यह न हो इसलिए रुक कर विचार कर लिया जाए। इतिहास की पलें हमें राह दिखाती है। और इतिहास का पुर्वालोकण हमें सही दिशा दिखाता है।
प्रस्तुत पुस्तक का यह प्रथम संस्करण है, तथापि सूचना के अभाव में कुछ छूट गया है और आने वाले संस्करण में इसका परिमार्जन किया जा सकता है। वरिष्ठ पत्रकारों के जीवन वृत्त और प्रेस क्लब की ऐतिहासिक तवय पुस्तक में संकलित हुआ है जो निश्चित ही सुखद है।
डॉ. सुधीर शर्मा
अध्यक्ष, हिन्दी विभाग
कल्याण स्नातकोत्तर महाविद्यालय, भिलाई (दुर्ग)
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