शुक्रवार, 10 अप्रैल 2015

हाउसिंग बोर्ड भ्रष्टाचार में मशगूल



अपने घर का सपना चकनाचूर, धंधा करने लगा बोर्ड, गुणवत्ता भी कमजोर 
विशेष प्रतिनिधि
रायपुर। छत्तीसगढ़ हाउसिंग बोर्ड के अधिकारियों की करतूतों ने अपने घर के सपने को चकनाचूर कर दिया है। गुणवत्ताविहिन निर्माण ने अपने घर का सपना देखने वालों की गाढ़ी कमाई को लुटते देख परेशान है तो यहां बैठे अधिकारी पहुंच और पैसों की धौंस देकर उपभोक्ताओं की लुटिया डुबाने में लगे हैं।
वैसे तो छत्तीसगढ़ में भ्रष्टाचार हर विभाग में आम बात हो गई है। राम नाम की लूट ने आम लोगों की जीवन को नारकीय बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ा है। इस खेल में हाउसिंग बोर्ड भी शामिल है। सरकारी जमीन पर निर्माण के बाद भी वह निजी बिल्डरों की तरह मकान बेच रही है लेकिन गुणवत्ता का कोई पता नहीं है।
बोरियाकला हाउसिंग बोर्ड की बदहाली तो चीख-चीख कर भ्रष्टाचार की कहानी बयां कर रही है। खिड़कियों व दरवाजे की लकडि?ां को छोड़ दें तो दीवारों में पड़ी दीवारें भी यहां के इंजीनियरों की योग्यता पर प्रश्नचिन्ह लगा रहे हैं। ऊपर से हाऊसिंग बोर्ड के अधिकारियों का रूतबा यह है कि वे ऐसे मकानों को सौंपने उपभोक्ताओं पर दबाव बना रहे हैं।
हमारे सूत्रों के मुताबिक बोरियाकला हाउसिंग बोर्ड में मकान बुक कराने वालों को घटिया दर्जे के इस मकान को सौंपने दबाव बनाया जा रहा है। यहां मकान बुक कराने वाले कई सरकारी कर्मियों व अधिकारियों को धमकाया जा रहा है तो जुबान खोलने पर प्रताड़ित करने की धमकी भी दी जा रही है।
हमारे सूत्रों के मुताबिक पीपल एक में बने बंगलों का बेहद बुरा हाल है। यहां बने बंगालों की दीवारें टेढ़ी है, चौखट दीवारों से अलग हो रहे हैं, बिजली की पाईप जगह-जगह प्लास्ट से बाहर दिखने लगे हैं। छत की डिजाइन को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं और ऐसे में मकान का पचेशन लेने के दबाव के चलते उपभोक्ताओं में रोष व्याप्त है।
यहां मकान बुक कराने वाले एक सरकारी अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि मकान का पजेशन शीघ्र लेने उन्हें धमकी दी जा रही है तो एक अन्य सरकारी अधिकारी ने जब गुणवत्ता की शिकायत की तो पहले तो उन्हें चुप रहने धमकी दी गई फिर उनका तबादला अन्यत्र करवा दिया गया।
सूत्रों का कहना है कि हाउसिंग बोर्ड के द्वारा मकान की आड़ में आम लोगों को लूटा है तो यहां पदस्थ अधिकारियों ने भ्रष्टाचार की सारी सीमाएं लांघ दी है। सामानों की खरीदी में तो भ्रष्टाचार  की ही गई गुणवत्ता को भी नजरअंदाज किया गया।
हमारे सूत्रों का दावा है कि यहां के भ्रष्टाचार की रकम कमीशन के रूप में ऊपर तक पहुंचाई गई  और सत्तापक्ष से जुड़े कई नेताओं को अनाप-शनाप कमाने का मौका भी दिया गया।
बहरहाल हाउसिंग बोर्ड के इस रवैये से उपभोक्ता तो परेशान है। भ्रष्टाचार की कहानी भी चौक चौराहे पर सुनाई देने लगी है। अब देखना है कि जीरो टारलेंस की दुहाई देने वाली सरकार हाउसिंग बोर्ड में महामारी की तरह मचाई भ्रष्टाचार से कैसे निपटती है।

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