शुक्रवार, 10 अप्रैल 2015

मंत्रियों के आगे असहाय मोदी..


जनरल वी.के. सिंह ने मीडिया के लिए जिस तरह के अपशब्द का प्रयोग किया उससे एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपने मंत्रियों पर पकड़ के दावे खोलकर रख दिया। भारत सरकार के मंत्रियों की बदजुबानी लगातार बढ़ रही है और प्रधानमंत्री खामोश हैं। सत्ता में आने के पहले भाजपा ने नरेंद्र मोदी की जो छवि गढ़ी थी वह अब चूर-चूर होने लगा है। लालकृष्ण आडवाणी से लेकर जसवंत सिंह को किनारे लगाकर जिस तरह की छवि बनाई गई थी वह बिखरने लगा है। तेज, कड़क, ईमानदार और गफलत बर्दाश्त नहीं करने की कड़ी छवि अब नेस्तानाबूत होने लगा है।
भाजपा को रिकार्ड बहुमत मिलने के बाद पूरी पार्टी को ठीक कर देने का दावा की हवा तो उसी दिन निकल गई थी जब अरूण जेटली, स्मृति ईरानी और नीतिन गडकरी  को मंत्री बनाया गया था लेकिन मोदी प्रशंसक इसे तत्कालीन मजबूरी कहकर टालते रहे और मोदी विद डिफरेंस का नारा देते रहे लेकिन इसकी भी पोल खुलने लगी जब मंत्री साध्वी ने हिन्दुओं को अधिक बच्चा पैदा करने का बयान दे दिया। इसके बाद तो मानो मंत्रियों में अपशब्द कहने की होड़ मच गई। गिरिराज मिश्र से लेकर वी.के.सिंह के बोल शर्मसार कर देने वाला है। लेकिन सारा मामला माफी और निंदा तक ही रह गया।
न खाने दूंगा न खाऊंगा से लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चेतावनी नक्कार खाने की तूती बनते गई और वही सब दोहराया जाने लगा जिसकी आलोचना कर भाजपा सत्ता में आई। सबसे दुखद बयान तो गिरिराज मिश्र और जनरल वी.के. सिंह का आया और इन दोनों बयानों के पीछे का षड?ंत्र खोजा जाने लगा है।अब तो आप लोग भी कहने लगे हैं कि सरकार की असफलता से ध्यान भटकाने के लिए ही इस तरह की बयानबाजी की जा रही है तो गिरिराज सिंह के गोरी चमड़ी वाले बयाने के पीछे संघ का मोदी पर दबाव बनाने की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। बढ़ती महंगाई और भूमि अधिग्रहण बिल में मोदी सरकार बैकफुट पर आ चुकी है। ऐसे में भले ही मोदी समर्थकों की उम्मीद जीवित हो पर सच तो यही है कि भाजपा की यह सरकार भी उसे ढर्रे पर चल रही है जिस रास्ते की आलोचना करते वह सत्ता तक पहुंची है।ं

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