सोमवार, 14 मार्च 2016

पाकिस्तान जिंदाबाद ! का मतलब

या खुदा मेरे दुश्मन को सलामत रखना
 वर्ना मेरे मरने की दुआ   कौन करेगा
 यह बहुत ही मार्मिक और असाधारण बातें हैं , जिसके भाव पर कोई नहीं जाना चाहता , केवल ऊपर ऊपर ही अर्थ निकाल  लिया जाता है । फिर जब आजकल हर बातों का मतलब अपनी सुविधानुसार निकाला  जाता हो वंहा ऐसे गुड़ वाक्यों का मतलब ही कहा  समझ आएगा ।
देश के गृहमंत्री राजनाथ सिंह अवाक् हो जाते हैं , जब आध्यात्मिक गुरु के रूप में चर्चित श्री श्री रविशंकर जय हिन्द के साथ पाकिस्तान जिंदाबाद का  उद्घोष करते हैं , कार्यक्रम में उपस्थित  गृहमंत्री राजनाथ सिंह के सामने ही यह उद्घोष उनके लिए हैरान करने वाला होगा जो  श्री श्री रविशंकर को केवल हिंदूवादी मानते हैं , हतप्रभ तो कार्यक्रम में उपस्थित अन्य हिंदूवादी भी थे ,और  श्री श्री रविशंकर ने इस स्तिथि को भांपते हुए तुरंत सफाई देते हुए सवाल उछाल दिया कि  जय हिन्द के साथ पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे क्यों नहीं लग सकता ।
यह सवाल  गृहमंत्री राजनाथ सिंह के लिए था या दूसरे कट्टरपंथी हिन्दू नेताओं के लिए यह तो  श्री श्री रविशंकर ही बता सकते हैं, परन्तु सवाल बहुत गहरा है ,और तब जब इन दिनों पुरे देश में असहिष्णुता और जेएनयू का मामला सुर्ख़ियों में हो, क्या  श्री श्री रविशंकर ने यह सवाल इसलिए तो नहीं उठाये कि इस देश में ज्यादार लोगों की  सोच यही है ।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सत्तासीन होने के बाद असहिष्णुता के पक्छ और विपक्छ में तर्क दिए जा रहे हैं, कोई किसी का सुनाने को तैयार नहीं है ।
तुम्हारी कमीज से ज्यादा उजली की प्रतिस्पर्धा में उजाला कंही खोने लगा है , सब तरफ धुंधला है, जनता के सामने इस धुंध को हटाने का कोई उपाय नहीं करना चाहता, क्योंकि धुंध हटते ही सच्चाई सामने आ जाएगी, इसलिए सभी ने   तय  कर  लिया हैं  कि धुंध  कायम रहे  । जनता  को  कुछ दिखाई न दें    क्योंकि जिस दिन  जनता देखने लगेगी उनकी कुर्सी चली जाएगी ।  इसलिए  धुंध में उतनी ही शब्दों के फूंक मरे जातें हैं जितने में उन्हें सामने वाले  की कालिमा दिखाई दे ।
श्री श्री रविशंकर का पाकिस्तान जिंदाबाद का उद्घोष का क्या होगा ? राजनाथ की इस दौरान उपस्तिथि के क्या मायने निकाले जायेंगे ? जेएनयू में कश्मीर की  आज़ादी के नारे  कभी रुक पाएंगे ? मोदी-शरीफ  दोस्ती का रंग कितना चढ़ पायेगा?  पाकिस्तान को लेकर कब तक क्रिकेट की बलि चढाई जाएगी?और  न जाने कितने सवाल पाकिस्तान जिंदाबाद  उद्घोष  जायेंगे? यह कहना  मुश्किल है ।
पाकिस्तान जिंदाबाद को लेकर सहमति असहमति  का खेल भी राजनैतिक फायदे के लिए चलता रहेगा । शिवसेना और भाजपा का इसे   लेकर अपना - अपना विचार हो सकता है, परन्तु श्री श्री रविशंकर के  पाकिस्तान जिंदाबाद के उद्घोष के   अपने मायने है,श्री श्री रविशंकर बड़ी आसानी से  देश की राजधानी में  देश के गृहमंत्री राजनाथ सिंह के सामने पाकिस्तान जिंदाबाद का  उद्घोष कर लिए , परन्तु क्या यह उद्घोष कोई देश के दूसरे हिस्से या सुदूर कोने से कर सकता है?
यह उद्घोष कट्टरपंथी हिन्दू संगठनो के लिए चेतावनी भले ही न हो,सरकार के लिए मुसीबत का सबब भले ही न  बने परन्तु विश्वबंधुत्व के लिए एक नई  राह उनके लिए है जो राजनैतिक तिकड़म का शिकार होतें है। अब सवाल इस बात का  भी है कि  श्री श्री रविशंकर के इस आयोजन का सार क्या  जय हिन्द के साथ पाकिस्तान जिंदाबाद का उद्घोष है?
कश्मीर से लेकर सुदूर बस्तर तक और उत्तर पूर्व से लेकर कन्याकुमारी तक श्री श्री रविशंकर के सन्देश का मतलब क्या होगा? यह सरकार को भी समझाना होगा ?

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