बुधवार, 21 जुलाई 2021

डरपोक सत्ता ही हमलावर होती है...

 

पेगासस स्पाईवेयर मामले में खुलासे के बाद मोदी सत्ता ने जिस तरह का जवाब देने की कोशिश की है वह विश्वास करने के कितना लायक है यह तो जनता तय करेगी लेकिन सत्ता हासिल करने के इस खेल ने लोकतंत्र के मर्यादा को ही तार-तार नहीं किया है बल्कि वह ऐसे तमाम लोगों के बेडरुम में झांकने की शर्मनाक कोशिश की है जो सत्ता की राह में रुकावट बन सकते थे।

ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या मोदी सरकार का इस तरह का सत्ता लोभ देश हित में कितना उचित है? विपक्ष और संवैधानिक संस्थानों को समाप्त कर मोदी सत्ता भारत को किस दिशा में ले जाना चाहती है और क्या सत्ता के इस खेल में हिन्दुओं का भला होगा? सवाल कई है लेकिन कांग्रेस मुक्त भारत की सपना तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का ही है तब क्या हम भाजपा या मोदी के इस बात को स्वीकार कर लें कि जितने भी भाजपा के विरोधी है क्या वे सभी देशद्रोही है? क्या संवैधानिक संस्थानों में नकेल डालने फोन टेपिंग की जाती रही?

यह सवाल इसलिए उठाये जा रहे है क्योंकि सत्ता की भूख से बर्बादी के किस्से इतिहास में भरे पड़े हैं। सत्ता की मनमानी से न देश का कभी भला हुआ है और न ही समाज या व्यक्ति का। इतिहास हिटलर-मुसोलिनी और वर्तमान में साऊथ कोरिया के राजशाही के किस्से की विभत्सता और विकरालता इस बात के गवाह है कि सत्ता में बने रहने के खेल की कीमत पूरी दुनिया को किस हद तक चुकानी पड़ती है।

यदि हिन्दू-मुस्लिम या इसाई धर्मान्तरण ही देश का चुनावी मुद्दा रहा और वही जीत-हार तय करते रहेंगे तो फिर हमारा दावा है कि महंगाई और बेरोजगारी तो बढ़ेगी ही सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के बिकने का क्रम भी इसी तरह से चलता रहेगा। रक्षा तक यदि निजी क्षेत्रों को बेचे जाने की सोच इसी तरह बलवती रही तो फिर सरकार के लिए अपना कहने का क्या बचेगा। रेल-हवाई सेवा बैंक से लेकर सब कुछ निजी हाथों में सौंपकर सरकार इस देश का संचालन किस तरह से करना चाहती यह तो समझ से परे हैं तब सवाल यह भी है कि क्या नफरत की राजनीति  में झुलकर नया पौध कैसे फलेगा फूलेगा।

हम यह नहीं कहते कि मोदी सरकार इस देश को हिन्दू राष्ट्र बनाकर दूसरे धर्मों के लोगों का जीवन नारकीय बना देगा। क्योंकि यह किसी भी सत्ता के लिए संभव नहीं है तब हिन्दू राष्ट्र की सोच लेकर सड़कों पर मॉब लिचिंग करने वाले क्या यह बात नहीं जानते की आग हवा पानी का प्रहार जात-धर्म, अपना-पराया नहीं देखता। बहरहाल फोन टेपिंग को लेकर जिस तरह से सवाल खड़े हुए है उनका जवाब सिर्फ गृहमंत्री का इस्तीफा है?

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