अमेरिका में ट्रम्प समर्थकों ने जिस तरह से हिंसक वारदात की है, उससे कई सवाल खड़े हो गये हैं। भारतीय परिपेक्ष्य में भी इसे सोचने समझने की जरूरत है क्योंकि भारत में भी ऐसे लोगों की कमी नहीं है जो ट्रम्प की सत्ता के समर्थक रहे हैं और आज भी उन्हें भारत का मित्र साबित करने में लगे रहते हैं।
दरअसल कट्टरपंथियों की सत्ता का पूरी दुनिया में यही हाल है। जहां लड़ाई श्रेष्ठता की हो वहां यह सब होना लाजिमी है। दूसरी विचारधारा को खत्म करने की मंशा ही सच से मुंह फेरना है।
हाल के वर्षों में जिस तरह से नफरत की राजनीति की शुरुआत हुई है उससे भारतीय जनमास को झिकझोर कर रख दिया है। सामाजिक ताना बाना पर भी इसका दुष्प्रभाव देखा जा रहा है। सत्ता के लिए नफरत की राजनीति कट्टरपंथियों का हथियार हैं और वे नफरत फैलाने के लिए जिस तरह से झूठ भ्रम और अफवाह फैलाते हैं उससे समाज में हिंसा बढ़ती है।
अमेरिका में जो कुछ हुआ वह अचानक नहीं हुआ क्योंकि लोकतंत्र में कट्टरता की उम्र लंबी नहीं होती। यह बात भारत के भी उन कट्टरपंथियों को समझ लेना चाहिए जो सत्ता के लिए झूठ अफवाह और भ्रम का सहारा लेने से पीछे नहीं हटते। इससे न केवल सामाजिक ताना-बाना छिन्न-भिन्न हो रहा है बल्कि इसका असर आर्थिक स्थिति पर भी पड़ रहा है।
मैं आज भी हैरान हो जाता हूं कि जो धर्म या समाज अपने को श्रेष्ठ साबित करने में कट्टर हैं उन धर्म और समाज की खुद की स्थिति शर्मनाक है। अनेक जातियों और फिरकों में बंटे लोग जब स्वयं की एका की बात करते हैं लेकिन मौका आने पर अपनी जाति को सर्वश्रेष्ठ बताने हिंसा पर उतारू हो जाते हैं।
ये लोग अपनी श्रेष्ठता साबित करने जिस तरह से दूसरे पक्ष के इतिहास को उधेड़ते हैं वे लोग भूल जाते हैं कि उनके अपने इतिहास में भी उससे दुष्ट लोगों की कमी नहीं है लेकिन सत्ता के लिए वे इस हद तक नीचे गिर जाते हैं कि उन्हें देश से कोई सरोकार नहीं होता।
ऐसे ही एक कट्टरपंथी ने एक दिन अचानक कह दिया कि वे मांसाहारी को हिन्दू नहीं मानते जबकि सच तो यह है कि उसके परिवार के लोगों में से कई मांसाहारी है। इसी तरह एक ब्राम्हण ने कह दिया कि मांस खाने वाले ब्राम्हण नहीं है लेकिन भारत में ऐसे कई प्रांतों के ब्राम्हण है जो मांस का भक्षण करते है।
कट्टरपंथियों की वजह से ही हिंसा बढ़ी है। खाप पंचायत से लेकर ऐसे कई उदाहरण और दंगे हैं जो कट्टरपंथियों की घृणा की पराकाष्ठा है।
इसलिए भारत को भी अमेरिका में हुई घटना को लेकर चिंतित होना चाहिए।
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