सोमवार, 21 जुलाई 2025

बड़े बेआबरू होकर…

बड़े बेआबरू होकर…


उपराष्ट्रपति जगदीप धनगढ़ ने इस्तीफ़ा दे दिया। मानसून सत्र के पहले दिन आये उनके इस्तीफ़े की असली वजह जो भी हो लेकिन इतिहास उन्हें एक बेहद चाटुकार और आलोकतांत्रिक व्यक्ति के रूप में कभी नहीं भूलेगा ! क्या है पूरा मामला उन्हें कौन सी बीमारी थी…

जगदीप धनगड़ का विवादों से नाता रहा है , पहली बार वे विवादों में तब आये जब जनवरी 2023 में उन्होंने सुप्रीम कोर्ट की 'मूल संरचना सिद्धांत' के पुनरावृत्ति के संदर्भ में बयान दिया था जिसे लेकर विवाद खड़ा हो गया था. उन्होंने कहा...  'संसद के बनाए काननों को अगर अदालत रोक देती है तो यह लोकतंत्र के लिए खतरा होगा'. इस पर कांग्रेस ने तीखा प्रहार किया तो ममता बेनर्जी ने वहीं टीएमसी की ओर से कहा गया, यह व्यक्ति बीजेपी का एजेंडे को चला रहा है. 


छात्र राजनीति पर टिप्पणी करते हुए यहाँ तक कह दिया था कि कुछ विश्वविद्यालय देश विरोधी विचार धराओ की शरणस्थली बन गये है 

उन पर दिसंबर 2023 में उपराष्ट्रपति धनखड़ पर अधिवेशन में विपक्षी सांसदों को रोकने का आरोप लगा था. विपक्षी दलों के नेताओं ने आरोप लगाया कि संसद के शीत सत्र मे. रोका गया। कांग्रेस प्रेसिडेंट खड़के ने तो यह भी कह दिया कि धनगड़ का बर्ताव बीजेपी प्रवक्ताओं जैसा हो गया है 

 किस बीमारी से जूझ रहे थे धनखड़?

इस साल 9 मार्च 2025 की रात को जगदीप धनखड़को अचानक सीने में दर्द और बेचैनी की शिकायत के बाद एम्स अस्पताल में भर्ती कराया गया था. उन्हें वहां CCU (क्रिटिकल केयर यूनिट) में निगरानी में रखा गया और वरिष्ठ कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. राजीव नारंग की देखरेख में इलाज हुआ. डॉक्टरों के अनुसार उन्हें दिल से जुड़ी परेशानी थी जिसे तत्काल नियंत्रित कर लिया गया था. करीब तीन दिनों तक अस्पताल में रहने के बाद 12 मार्च को उन्हें छुट्टी दे दी गई थी, लेकिन कार्डियक मॉनिटरिंग जारी रखी गई.

डॉक्टरों की रिपोर्ट में बताया गया था कि उपराष्ट्रपति को हाई ब्लड प्रेशर, थकावट और कार्डियक स्ट्रेस जैसी समस्याएं हैं. उम्र के लिहाज से उन्हें गंभीर श्रेणी का मरीज माना गया और मेडिकल टीम ने उन्हें लंबे समय तक विश्राम और कार्यभार में कटौती की सिफारिश की थी. अंततः उन्हें इस्तीफा देना पड़ा.