गुरुवार, 17 जुलाई 2025

संघ की लाचारी, मोदी सब पर भारी

 संघ की लाचारी, मोदी सब पर भारी 



देश में 2014 के बाद से जो मज़ाक़ बाज़ी का खेल शुरू हुआ है वह थमने का नाम ही नहीं ले रहा है। दरअसल बचपने का वह दिन मुझे अब भी याद है जब स्कूल से लौटते समय मैं भी उस मजमा का हिस्सा बन गया था जिसमें एक व्यक्ति चीख चीख कर आकाश की ओर देखते हुए कह रहा था कि जिसके जेब में जो भी पैसा है वह उसके सामने बिछे चादर में डाल दे नहीं तो एक लोहे का गोला उस व्यक्ति के ऊपर गिरेगा जो जेब से पैसा नहीं निकलेगा, कुछ लोग डरकर पैसा डालने लगा तो कुछ खिसकने लगे। बस इसी तरह का तमाशा चल रहा है। नये तमाशे में संघ ने फुफकारा 75 साल… लेकिन यदि ज़हर नहीं होने की बात जो जानता है वह भला ऐसे फुफकार से क्यों डरने लगा…

75 की उम्र में संघ सेवा छोड़ना होता है,

पर सत्ता सेवा में कोई रिटायरमेंट नहीं!


अब क्या कोई शक बाकी है?

मोहन भागवत जी ने पहले 75 की उम्र के बाद पद छोड़ने की बात कही — और फिर पलट गए!

क्यों?

क्योंकि वो खुद संघ प्रमुख हैं, पर असली प्रमुख तो कोई और है!

"बिस्वगुरु" की छाया इतनी गहरी है कि संघ भी अब संघ नहीं रह गया,

वो भी आदेशपालक हो गया है — संघ से संघठन तक की यात्रा पूरी हो गई है!

जब भागवत जी जैसे लोग बोलने के बाद बोल पलटें,

तो समझ लीजिए —

"जुगल जोड़ी" ने किसी को नहीं छोड़ा दबाव में लाने से!


तथाकथित नीति, विचारधारा, सिद्धांत सब राजनीतिक जुमले बन चुके हैं —

जहाँ सत्ता के लिए उम्र भी लचीली हो जाती है और संगठन भी झुक जाता है!


अब मत पूछिए "संघ स्वतंत्र है या नहीं"

बस आईना देखिए — और चुपचाप समझ जाइए।

यूं तो आम जीवन में  पचहत्तर वां साल प्लेटिनम जयंती के रुप में जश्न के रूप में मनाया जाता है किंतु यह साल जीवन में सत्ता सुख से वंचित करने वाला सवाल बनके आएगा ऐसा  मोहन भागवत और मोदीजी ने कभी सोचा ना होगा।अपने आपको तुगलक समझने वाले ये लोग अपने बनाए नियमों में इस कदर फंस गए हैं कि कुछ सार्वजनिक तौर पर कहते नहीं बन रहा ।ये मुश्किल वक्त है जब दोनों सितमग़रों के  जन्मदिन सितम्बर की 11(मोहन भागवत) और 17तारीख़ को (नरेंद्र मोदी ) है। यानि मोदी को चादर उढ़ाने की बात प्रतीकत्मक रुप से कहने वाले मोहन भागवत पहले यानि 11सितंबर को 75 के हो जाएंगे। यदि वे चादर पहन बैठ जाते हैं तो 17 को मोदीजी भी शायद अनुसरण कर सकते हैं।पर जैसे कि संकेत मिल रहे हैं कि यह नियम संघ के लिए नहीं बना है यदि भागवत स्थापित रहते हैं तो मोदी को चादर चढ़ाना आसान नहीं होगा।वैसे उनका मूड बता रहा है कि वे पूरे पांच साल पद पर बने रहना चाहते हैं।संघ फुफकार सकता है लेकिन उन्हें काट नहीं सकता है।

तब सवाल यह है कि यह पूरा तमाशा क्या मोदी विरोधियों में संघ के प्रति  विश्वास कम नहीं करेगा। हालाँकि वे लोग यह बात अच्छे से जानते है कि  संघ का एक मतलब झूठ और अफ़वाह उड़ाने वाली संस्था से ज़्यादा कुछ नहीं है…