सबसे ज्यादा विभाग वाले बृजमोहन के पौ बारह
छत्तीसगढ़ के सबसे दमदार माने जाने वाले मंत्री बृजमोहन अग्रवाल विभागों के मामले में न केवल अन्य मंत्रियों से भारी है बल्कि उनके विभागों में व्याप्त भ्रष्टाचार के चर्चे चौक-चौराहे पर सुनाई देते हैं। यही नहीं बृजमोहन अग्रवाल के खिलाफ कोई कांग्रेसी इसलिए भी आवाज नहीं उठाते क्योंकि उनकी जबरदस्त सेटिंग है। यही नहीं इस स्थिति के फायदे को लेकर अब भाई वाद के चर्चे भी आम होने लगे हैं।
चुनाव प्रबंधन ही नहीं अफसरों के साथ कांग्रेसियों के प्रबंधन में भी माहिर बृजमोहन अग्रवाल के पीडब्ल्यूडी सबसे भ्रष्ट विभाग के रुप में जाना जाता है। डामर घोटाले से लेकर उखड़ती सडक़ें इस विभाग की सच्चाई है जबकि हर ठेके में 20 फीसदी कमीशन से अब ठेकेदार भी परेशान है। पूरे प्रदेश में सडक़ों के निर्माण में जिस तरह से कमीशनखोरी की जा रही है उसकी जांच की जाए तो कई लोग जेल के सलाखों परनजर आएंगे। यही नहीं हर साल 50 करोड़ से उपर के बजट वाले पर्यटन विभाग का हाल भी सबसे बुरा है। पर्यटन के प्रचार प्रसार के नाम पर इन सात वर्षों में जितना भ्रष्टाचार हुआ उसकी अपनी ही कहानी है। यहां स्टेशनरी घोटाले से लेकर रोप वे तथा मोटल निर्माण में हुए घोटाले की कहानी भी सडक़ों पर सुनी जा सकती है। जबकि विवादास्पद अधिकारियों एम.जी. श्रीवास्तव और अजय श्रीवास्तव से मंत्री जी की गलबतियां ने आम लोगों को सोचने मजबूर करता है कि रावण इसलिए नहीं मरता है? शिक्षा विभाग का तो सर्वाधिक बुरा हाल है। केबिनेट के फैसलों का सर्वाधिक उल्लंघन इसी विभाग में हो रहा है। जबकि तवारिस जैसे आरोपियों की बहाली से बृजमोहन अग्रवाल स्वयं चर्चा में है जबकि यहां भी विवादास्पद अफसरों का जमावड़ा है। श्रीमती बाम्बरा, डॉ. एच.आर. शर्मा, जैसे लोग प्रमुख पदों पर बैठे हुए हैं। शिक्षा विभाग में पुस्तक खरीदी का मामला तो सर चढक़र बोलने लगा है।
नियम कानून को ताक पर रखकर जिस तरह से मनमाने कीमतों में पुस्तक खरीदी की गई और कमीशन खोरी हुई उसे लेकर दांतों तले उगली दबाया जा रहा है। संस्कृति विभाग में तो उनके लाड़ले भाई योगेश अग्रवाल के कारनामें समय-समय पर अखबारों में छपते रहे हैं। जबकि राज्योत्सव को तो अब लोग लुटोत्सव की संज्ञा तक देने लगे हैं। यही नहीं सबै भूमि गोपाल की कहावत भी खूब चर्चा में है। नामी बेनामी जमीनों के अलावा सिरपुर की जमीन पर पीडब्ल्यूडी का बाउण्ड्रीवाल इन दिनों चर्चा है। बृजमोहन अग्रवाल ने मंत्री बनने के बाद उनके भाईयों का पेट्रोल पंप और लोडिंग अनलोडिंग के धंधे में आने की खबर पर तो लोगों की प्रतिक्रिया असंवैधानिक होने लगी है। हालांकि मोहन परिवार का अनाज व्यवसाय के संगठनों में मोनोपल्ली रहा है। बड़ा भआई गोपाल अग्रवाल जहां सालों से दाल मिल एसोसिएशन के अध्यक्ष है तो छोटा भाई योगेश अग्रवाल राईस मिल एसोसिएशन में बैठे हैं। योगेश का फिल्मी पक्ष भी जबरदस्त विवादास्पद रहा है। जबकि उन्हें हाल ही में बृजमोहन अग्रवाल के ससुराल गोदिया में पुरस्कार भी मिला है। इधर बृजमोहन अग्रवाल की कांग्रेसियों से सेटिंग की चर्चा सदैव रही है कहा जाता है कि एक दूसरे को सहयोग करने के वादे ने ही बृजमोहन के खिलाफ कांग्रेसियों को चुप रहने मजबूर किया है। बड़े से बड़े नेता उनके खिलाफ बोलने से घबराते हैं और भटगांव चुनाव के परिणाम को भी इसी परिप्रेक्ष्य में देखा जा रहा है। बहरहाल बृजमोहन अग्रवाल के विभागों में भ्रष्टाचार चरम पर है और इस पर प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस की भूमिका को लेकर आम लोगों में तीखी प्रतिक्रिया है।
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