छत्तीसगढ़ में मिलावट खोरों ने जिस तेजी से पैर फैलाया है सरकार की उनके प्रति उतनी ही नरमी है। किसी भी आतंकवादी गतिविधियों से इसे हम खतरनाक मानते हैं। आतंकवाद व नक्सली की तर्ज पर मिलावट खोर भी आम लोगों की जिन्दगी से खिलवाड़ कर रहे हैं। उन्हें धीरे-धीरे गंभीर बीमारी देकर मौत की ओर ढकेल रहे हैं लेकिन छत्तीसगढ़ में सरकार ने इन्हें खुली छूट दे रखी है।
शहर के लोगों को आज भी याद है कि मिलावट खोर मिठाई वालों को बचाने कैसे सरकार ने एक पुलिस अधिकारी को प्रताडि़त किया। यह अधिकारी इतना प्रताडि़त हुआ कि उसे अवकाश पर जाना पड़ा और आज भी उसकी अवकाश से वापसी नहीं हुई है। ऐसे में यदि सरकार पर व्यापारियों की सरकार होने का तमगा लगे इसे अतिशंयोक्ति नहीं मानी जानी चाहिए।
छत्तीसगढ़ में मिलावट खोरी चरम पर है। त्यौहारों के दिनों में तो मिठाईयों के दुकानों में जिस तरह से मिलावटी सामानों की बिक्री होती है वह आश्चर्यजनक है और इसे रोकने बैठे मातहतों का काम तो सिर्फ उगाही रह गया है।
शहर के चर्चित मिठाई दुकानों में मिलावटी खोवा की मिठाईयों को लेकर बवाल मच चुका है और कभी कार्रवाई का दबाव बढ़ा भी तो उनसे केवल जुर्माना ही वसूला जाता है। आम लोगों के जीवन से खिलवाड़ करने वालों से सिर्फ जुर्माना वसूलना ऐसे लोगों को बढ़ावा देता है जो पैसै कमाने आम लोगों की जिन्दगी छिनने पर आमदा है।
खाद्य सामग्री में मिलावट खोरी को लेकर इतने कड़े कानून बनना चाहिए कि इसके लिए उसे पछताना पड़े। सिर्फ जुर्माना ही इसका उपाय नहीं है लेकिन सरकार कड़े कानून से हिचक रही है। खाद्य विभाग के लोग भी केवल तभी कार्रवाई करते हैं जब शिकायतें बढ़ जाती है।
धनिया में भूसा, चावल में कंकड़ जैसे मामले तो राजधानी में आये दिन सामने आ रहे हैं। लेकिन होटल और रेस्टोरेंट में जिस तरह से मिलावट खोरी की जा रही है वह असहनीय है। सामान को सुरक्षित रखने के लिए जिस पैमाने पर रासानियक कीट नाशकों का इस्तेमाल हो रहा है वह आम लोगों को गंभीर बीमारियों की ओर ढकेल रहा है। ऐसे में सरकार को चाहिए कि वह केवल वोट व पैसों की राजनीति बंद कर कड़े कानून के तहत मिलावट खोरों को जेल में डालें।
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