गर्भाशय कांड के डाक्टरों से भी करोड़ों वसूली !
रमन राज में चल रहा राम नाम की लूट !
छत्तीसगढ़ सरकार में मची राम नाम की लूट का एक और चौकाने वाला मामला उÓाागर हुआ है । पैसों की लालच में गर्भाशय निकालने के आरोपी डाक्टरों को बचाने करोड़ों रूपये वसूलने जाने का आरोप सामने आया है । लोगों की जान के एवज में चल रहे इस गोरख धंधे में प्रदेश सरकार के मंत्री से लेकर सचिव स्तर के अधिकारियों की मिलीभगत की खबर है । छत्तीसगढ़ में सत्ता में बैठे लोगों की पैसे की हवस समाप्त होने का नाम ही नहीं ले रहा है । ऐसा कोई विभाग नहीं है जहां भ्रष्टाचार की नदियां नहीं बह रही हो । स्वयं मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह कोल ब्लाक मामले में आरोपी है ओपन एक्सेस घोटाले से खनिज घोटाले, रतनजोत घोटाले में सीधे मुख्यमंत्री पर आरोप लग रहा है जबकि रोगदाबांध से लेकर सरकारी जमीनों के मामले भी गर्म है ।
स्वास्थ्य विभाग में घोटाला चरम पर है । हालत यह है कि सरकार गरीबों की जान की कीमत लगाने लगी है और गरीबों की जान से खिलवाड करने वाले डाक्टरों को बचाने तक पैसा वसूले जाने की चर्चा है ।
नेत्र कांड में अब तक करीब सौ लोगों की आंखे फोड़ दी गई और स्मार्ट कार्ड घोटाले के आरोपी को पकडऩे में भी प्रशासन असफल रहा है ।
ताजा सनसनीखेज मामला गर्भाशय कांड के डाक्टरों को बचाने का है । हमारे बेहद भरोसेमंद सूत्रों की माने तो इस कांड में फंसे डाक्टरों को बचाने के एवज में करोड़ों रूपये वसूले गए है । ज्ञात हो कि ईलाज के नाम पर छत्तीसगढ़ के करीब दर्जनभर डाक्टरों ने बेवजह गर्भाशय निकालकर गरीबों से आपरेशन के एवज में पैसे वसूले थे । कम उम्र की इन महिलाओं का पैसे के लिए गर्भाशय निकालने का मामला जब प्रकाश में आया तो डाक्टरों की करतूत से अ'छे-अ'छे के रोंगटे खड़े हो गए ।
जांच में ऐसे सैकड़ों मामले सामने आये जिनमें डाक्टरों की करतूत सामने आई और जांच में दोष्शी पाये जाने वाले करीब 9 डाक्टरों का पंजीयन रद्द कर दिया गया ।
सूत्रों का क हना है कि पंजीयन रद्द होने से क्षेत्र के बाकी डाक्टरों में हड़कम्प मच गया और वे सरकार से आरपार की लड़ाई पर उतर आये ।
डाक्टरों की धमकी से घबराकर सरकार ने गर्भाशय कांड की एक और जांच शुरू करने की घोषणा कर दी और निलंबन समाप्त कर दिया ।
सूत्रों का कहना है कि डाक्टरों का निलंबन समाप्त करने प्रत्येक डाक्टरों से 50 लाख से लेकर एक करोड़ तक लिये गये । सूत्रों की माने तो यह रकम सचिव से लेकर डाक्टरों की जेब में पहुंच चुका है ।
स्लाटर हाऊस में तब्दिल होतते नर्सिंग होम के खिलाफ कार्रवाई की बजाय उनके प्रति सरकार का रवैया आश्चर्यजनक है । दूसरी तरफ निलंबित डाक्टरों ने बहाली के बाद फिर जोरशोर से अपना पुराना खेल शुरू कर देने की चर्चा है ।
रमन राज में भ्रष्टाचार के इस तरह के शर्मनाक खेल की चर्चा तो अब चौक चौराहों में होने लगी है ।
इधर गर्भाशय कांड के मामले की जांच की घोषणा तो कर दी गई है लेकिन सूत्रों का दावा है कि यह केवल विषय से ध्यान भटकाने के लिए किया गया है । जबकि वास्तविकता यह है कि लेनदेन का सारा मामला रफा दफा कर दिया गया है ।
रमन राज में चल रहा राम नाम की लूट !
छत्तीसगढ़ सरकार में मची राम नाम की लूट का एक और चौकाने वाला मामला उÓाागर हुआ है । पैसों की लालच में गर्भाशय निकालने के आरोपी डाक्टरों को बचाने करोड़ों रूपये वसूलने जाने का आरोप सामने आया है । लोगों की जान के एवज में चल रहे इस गोरख धंधे में प्रदेश सरकार के मंत्री से लेकर सचिव स्तर के अधिकारियों की मिलीभगत की खबर है । छत्तीसगढ़ में सत्ता में बैठे लोगों की पैसे की हवस समाप्त होने का नाम ही नहीं ले रहा है । ऐसा कोई विभाग नहीं है जहां भ्रष्टाचार की नदियां नहीं बह रही हो । स्वयं मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह कोल ब्लाक मामले में आरोपी है ओपन एक्सेस घोटाले से खनिज घोटाले, रतनजोत घोटाले में सीधे मुख्यमंत्री पर आरोप लग रहा है जबकि रोगदाबांध से लेकर सरकारी जमीनों के मामले भी गर्म है ।
स्वास्थ्य विभाग में घोटाला चरम पर है । हालत यह है कि सरकार गरीबों की जान की कीमत लगाने लगी है और गरीबों की जान से खिलवाड करने वाले डाक्टरों को बचाने तक पैसा वसूले जाने की चर्चा है ।
नेत्र कांड में अब तक करीब सौ लोगों की आंखे फोड़ दी गई और स्मार्ट कार्ड घोटाले के आरोपी को पकडऩे में भी प्रशासन असफल रहा है ।
ताजा सनसनीखेज मामला गर्भाशय कांड के डाक्टरों को बचाने का है । हमारे बेहद भरोसेमंद सूत्रों की माने तो इस कांड में फंसे डाक्टरों को बचाने के एवज में करोड़ों रूपये वसूले गए है । ज्ञात हो कि ईलाज के नाम पर छत्तीसगढ़ के करीब दर्जनभर डाक्टरों ने बेवजह गर्भाशय निकालकर गरीबों से आपरेशन के एवज में पैसे वसूले थे । कम उम्र की इन महिलाओं का पैसे के लिए गर्भाशय निकालने का मामला जब प्रकाश में आया तो डाक्टरों की करतूत से अ'छे-अ'छे के रोंगटे खड़े हो गए ।
जांच में ऐसे सैकड़ों मामले सामने आये जिनमें डाक्टरों की करतूत सामने आई और जांच में दोष्शी पाये जाने वाले करीब 9 डाक्टरों का पंजीयन रद्द कर दिया गया ।
सूत्रों का क हना है कि पंजीयन रद्द होने से क्षेत्र के बाकी डाक्टरों में हड़कम्प मच गया और वे सरकार से आरपार की लड़ाई पर उतर आये ।
डाक्टरों की धमकी से घबराकर सरकार ने गर्भाशय कांड की एक और जांच शुरू करने की घोषणा कर दी और निलंबन समाप्त कर दिया ।
सूत्रों का कहना है कि डाक्टरों का निलंबन समाप्त करने प्रत्येक डाक्टरों से 50 लाख से लेकर एक करोड़ तक लिये गये । सूत्रों की माने तो यह रकम सचिव से लेकर डाक्टरों की जेब में पहुंच चुका है ।
स्लाटर हाऊस में तब्दिल होतते नर्सिंग होम के खिलाफ कार्रवाई की बजाय उनके प्रति सरकार का रवैया आश्चर्यजनक है । दूसरी तरफ निलंबित डाक्टरों ने बहाली के बाद फिर जोरशोर से अपना पुराना खेल शुरू कर देने की चर्चा है ।
रमन राज में भ्रष्टाचार के इस तरह के शर्मनाक खेल की चर्चा तो अब चौक चौराहों में होने लगी है ।
इधर गर्भाशय कांड के मामले की जांच की घोषणा तो कर दी गई है लेकिन सूत्रों का दावा है कि यह केवल विषय से ध्यान भटकाने के लिए किया गया है । जबकि वास्तविकता यह है कि लेनदेन का सारा मामला रफा दफा कर दिया गया है ।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें