मंगलवार, 8 जून 2021

फटकार के बाद मोदी...

 

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का वैक्सीनेशन को लेकर दिया गया बयान को कुछ लोग देर आये दुरुस्त आये कह रहे हैं तो समर्थक वाह मोदी में लगे है लेकिन हकीकत में देखा जाये तो यह लातों के भूत बातों से नहीं मानते की कहावत को चरितार्थ करता है, सुप्रीम कोर्ट ने जिस तरह से दो हफ्ते में वैक्सीन और 35 हजार करोड़ का हिसाब मांगा था, वैक्सीन की दो कीमतों पर सवाल उठाया था और सरकार की तैयारी पूछा था उसके बाद आये इस निर्णय का सच तो यही है।

हैरानी की बा तो यह है कि जिस राष्ट्र के नाम संबोधन पर पूरी दुनिया की निगाह होती है उसमें भी कोई झूठ बोल दे, लफ्फाजी करे और अपनी लापरवाही की वजह से हुए नरसंहार पर आंख मूंद ले तो यह बेशर्मी की पराकाष्ठा के अलावा कुछ नहीं है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के झूठ की कहानी बताने से पहले यह बात आम लोगों को जान लेना चाहिए कि इस देश में गंगा में बढ़ती लाशें, चिताओं की लाईने और आक्सीजन तथा अव्यवस्था से हुई मौत न केवल सत्ता की लापरवाही के चलते हुई है बल्कि यह मोदी सत्ता के द्वारा किया गया नरसंहार है।

हम इसे सत्ता का नरसंहार इसलिए भी कहते हैं कि नमस्ते ट्रम्प और मध्यप्रदेश में सरकार बनाने के लोभ से शुरु हुई लापरवाही आज भी जारी है, सत्ता की लफ्फाजी और झूठ का कहर आम लोगों के दैनिक जीवन पर बुरी तरह टूटा है। जिस मुक्त वैक्सीन को लेकर आज मोदी समर्थक बेशर्मी से अपनी पीठ थपथपाने की कोशिश कर रहे हैं वे भी जान ले कि यदि सुप्रीम कोर्ट ने दो सप्ताह के भीतर जवाब देने सरकार को नहीं हड़काया होता तो सत्ता अभी भी उत्तरप्रदेश सहित सात राज्यों में होने वाले चुनाव की रणनीति के अलावा कुछ सोच ही नहीं सकती। और रणनीति भी झूठ नफरत और अफवाह पर टिकी हुई।

सुप्रीम कोर्ट के जिन सवालों की वजह से फ्री वैक्सीन की गई वह सवाल लोगों का जानना चाहिए। कोर्ट ने मोदी सत्ता से पूछा था कि जिस  35 हजार करोड़ संसद में लाया थआ वह 35 हजार करोड़ कहां कैसे खर्च किया जवाब दो, वैक्सीन की दो कीमत क्यों है, यदि पिछले साल से तैयारी थी तो ऑक्सीजन और दवाई के अभाव में लोग क्यों मरे, तैयारी थी तो वैक्सीन की कमी क्यों है, वैक्सीन को लेकर कहां क्या खर्च किया गया। ऐसे कितने ही सवालों को लेकर जह सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सत्ता को लानत भेजते हुए दो हफ्ते के भीतर जवाब देने कहा तब फ्री वैक्सीन का खेल शुरु हुआ है।

इस  संबोधन में प्रधानमंत्री मोदी के झूठ से पहले बता दें कि मोदी सत्ता की तैयारी क्या थी, जब विशेषज्ञ ऑक्सीजन की जरूरत बता रहे थे तो मोदी सत्ता ऑक्सीजन विदेशों को बेच रही थी। जब दुनिया भर के देश 2020 में ही वैक्सीन खरीदने आर्डर दे रहे थे तो मोदी सत्ता असम-बंगाल में चुनाव जीतने की रणनीति बना रही थी, कोरोना की कमी होते ही दूसरे देशों को वैक्सीन बेची जा रही थी और दावा किया जा रहा था कि हमने कोरोना की लड़ाई जीत ली है और अब दुनिया को मदद करेंगे।

सत्ता की लापरवाही से हुए नरसंहार के बाद भी यदि कोई झूठ बोले तो सवाल उठना चाहिए कि क्या देश के प्रधानमंत्री को झूठ बोलना चाहिए। प्रधानमंत्री अब भी अपनी वाहवाही की भूख मिटाने झूठ बोलते है कि भारत ने दो वैक्सीन बनाई जबकि हकीकत यही है कि भारत ने  केवल कोवैक्सीन ही बनाई और यह कारनामा भारत टेक ने किया जबकि जिस कोविशील्ड को लेकर प्रधानमंत्री मोदी दावा करते हैं वह वैक्सीन आस्ट्राजेनिका आक्सफोर्ड का है और अदार पूनावाले का सिरम इंस्टीट्यूट ने लाइसेंस लेकर कोविशील्ड तैयार किया है। यानी आप देखेंगे कल स्पूतनिक, जानसन या दूसरी कंपनी का वैक्सीन यदि भारत में तैयार होने लगे तो क्या मोदी सत्ता इसी तरह का दावा करेंगी। लापरवाही के नरसंहार का जवाब तो सुप्रीम कोर्ट ने दो हफ्ते में मांगा है लेकिन सच आपके सामने है कि मोदी सत्ता तब जागी जब सुप्रीम कोर्ट हड़काया।

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