देश के सबसे बड़े सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के जनसंख्या नीति को लेकर पूरे देश में एक नई तरह की बहस छिड़ गई है, कई हिन्दू संगठन इसके विरोध में खड़े होने लगे हैं तो सवाल यही है कि क्या इस देश में जनसंख्या को नियंत्रित करने की जरूरत है?
दरअसल जनसंख्या से जुड़ा मुद्दा केवल राजनीति है कहा जाए तो गलत नहीं होगा क्योंकि जनसंख्या और समान नागरिकता संहिता भाजपा के एजेंडे का हिस्सा रहा है। तब सवाल यह है कि क्या जनसंख्या नियंत्रण कानून इस देश में लागू करने की जरूरत आ पड़ी है। उत्तरप्रदेश की जनसंख्या 22 करोड़ के करीब है और वह कई देशों से ज्यादा है, बढ़ती आबादी को लेकर इससे पहले भी कई सरकारों ने न केवल चिंता जताई है बल्कि इसे विकास में बाधा बताने से भी परहेज नहीं किया है।
निकम्मी सरकार तो अपनी असफलता के लिए बढ़ती जनसंख्या के पीछे छिप जाने का आसान तरीका ही ढूंढ लिया है लेकिन सच तो यह है कि किसी भी सरकार ने अपनी जनसंख्या को ताकत बनाने की कोशिश नहीं की। हम दो हमारे दो के नारे से शुरु हुई जनसंख्या नियंत्रण की कोशिश केवल शहरी क्षेत्रों और पढ़े लिखे तपको तक सिमट कर रह गया और भाजपा ने इसे धर्म की राजनीति के तहत इस्तेमाल करना शुरु कर दिया।
भाजपा के कई नेताओं का कहना है कि मुस्लिम समुदाय के लोग जनसंख्या के लिए काफी हद तक जिम्मेदार है और चार शादी से लेकर ज्यादा बच्चा पैदा करना उनके जिहाद का हिस्सा है। जबकि कई हिन्दूवादी नेता तो यहां तक दावा करते हैं कि यदि जनसंख्या नियंत्रण कानून नहीं लाया गया तो हिन्दू आबादी अल्पसंख्यक हो जायेगी। और वे कई बार हिन्दुओं को अधिकाधिक बच्चा पैदा करने की सलाह भी देते है।
ऐसे में जनसंख्या नीति को लेकर सबसे पहले तो यही समझना होगा कि आखिर इसकी जरूरत कितनी और क्या है? क्योंकि भाजपा सत्ता के जल्दबाजी वाले फैसलों ने लोगों की मुसिबत ही बढ़ाई है। नोटबंदी से लेकर अब तक जितने भी फैसले लिये गए उन्हें लोगों के दबाव में संशोधित करना पड़ा है।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार ने तो योगी की जनसंख्या नीति पर असहमति जता ही दी है तब सवाल यही है कि क्या जनसंख्या नीति की घोषणा केवल चुनावी फायदे के लिए किये जा रहे हैं क्योंकि पिछले सात सालों में सरकार के पास रोजगार तो है नहीं, कोरोनाल काल ने सरकारी सुविधाओं की पोल खोल दी है, अप्रवासी मजदूरों की व्यथा किसी से छिपा नहीं है किसान सात माह से आंदोलित है। तब क्या इस देश में अब सारे निर्णय राजनीतिक फायदे के लिए लिये जायेंगे? सोचना जरूर।
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