एडीजी जीपी सिंह की कहानी को समझने से पहले सत्ता माफिया और अफसरों के गठजोड़ में पनप रहे अपराध को समझना होगा। सत्ता माफिया और अफसर के इस गठजोड़ ने छत्तीसगढ़ में नया इतिहास रचा है। और यह सब खुलासा एडीजी सिंह के यहां छापे से सामने आया है।
सवाल यह नहीं है कि एडीजी सिंह के घर से क्या-क्या मिला क्योंकि छत्तीसगढ़ में ऐसे अफसरों की लंबी फेहरिश्त हैं जिन्होंने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए अरबों-खरबों की संपत्ति अर्जित की और जिन्हें आज भी सत्ता का संरक्षण मिला हुआ है। एसीबी यानी एंटी करप्शन ब्यूरों के पास अभी भी उन 90 अफसरों की सूची है जिनके पास अनुपातहीन संपत्ति जब्त की गई लेकिन वे आज भी महत्वपूर्ण और मलाईदार पदों पर विराजमान है तो यह सब सत्ता के संरक्षण के बगैर संभव नहीं है।
ऐसे में एडीजी सिंह के खिलाफ भी कोई बड़ी कार्रवाई होगी या अंजाम सजा तक पहुंच पायेगा यह कहना मुश्किल है। छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के समय जब मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के अफसरों का बंटवारा हुआ तो बहुत से भ्रष्ट अफसर छत्तीसगढ़ आ गये थे। उनमें वे अफसर भी थे जिनका मध्यप्रदेश के समय चर्चित घोटालों में नाम था उनमें से कई अफसर छत्तीसगढ़ में भी भ्रष्टाचार करते हुए मजे से नौकरी बजाते रिटायर्ड हो गए।
तीन साल की जोगी सत्ता में सत्ता, अफसर और माफिया के गठजोड़ के किस्से आज भी हवा में इसलिए तैर रहे हैं क्योंकि जिन डेढ़ दर्जन अफसरों को बर्खास्त करने, उनकी काली करतूत को उजागर कर सजा दिलाने का दावा कर सत्ता में आई डॉ. रमन सिंह की सरकार में भी उन्हीं अफसरों का बोलबाला रहा। मुकेश गुप्ता, कल्लूरी तो पुलिस विभाग के हैं। आईएएस में आरपी मंडल से लेकर कितने ही नाम थे जो डॉ. रमन सिंह की सरकार में भी मजे से रहे।
डॉ. रमन सिंह की सरकार में एडीजी जीपी सिंह की गतिविधियों के लेकर सत्ता पर सवाल उठे लेकिन गठजोड़ ने सब ध्वस्त कर दिया, बिलासपुर के एसपी राहुल शर्मा के मर्डर केस जिसे आत्महत्या केस भी बताया जाता है उसका परिणाम कौन भूल सकता है। क्लोजर रिपोर्ट पर बवाल मचाने वाली कांग्रेस ने क्या कभी इस केस की फाईल फिर खुलवाई? नान घोटाले से लेकर कितने ही घोटाले का क्या हुआ।
भ्रष्ट अफसर नेता और माफिया का गठजोड़ क्या आज दिखाई नहीं दे रहा है कि वे सत्ता तक किस तरह पहुंच गए है। हाईकोर्ट ने 90 ऐसे भ्रष्ट अफसरों के खिलाफ कार्रवाई की रिपोर्ट भी मांगी है लेकिन क्या सरकार में हिम्मत है कि वे ऐसे भ्रष्ट अफसरों को मलाईदार पद से हटा सके। बल्कि कई अफसर तो भूपेश सरकार की गोद में बैठे है। तब एडीजी जीपी सिंह को लेकर मचा बवाल का क्या अर्थ है जबकि अभी तक उसे निलंबित तक नहीं किया गया है।
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