उत्तर में कुलदीप को 'नमस्ते'
हालत पतली, विरोधी सक्रिय
मुस्लिम मतदाताओं का झुकाव आप की ओर
(विशेष - प्रतिनिधि)
रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के चारों विधानसभा में अब स्थिति स्पष्ट होने लगा है, चार में से दक्षिण और उत्तर में कांग्रेस को सीट जीतना किसी चुनौती से कम नहीं है और लोगों का तो यहाँ तक कहना है कि वर्तमान विधायक कुलदीप जुनेजा के रवैये ने उत्तर विधानसभा को दक्षिण से भी कठिन बना दिया है |
पिछले विधानसभा में कांग्रेस ने राजधानी की चार में से तीन सीटें जीती थीं और इस बार चारों सीटों को जीतने का संकल्प लेकर खुद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सड़क पर उत्तर आये हैं लेकिन सबसे ज्यादा खराबस्थिति उत्तर विधानसभा सीट की है और इसकी वजह वर्तमान विधायक कुलदीप जुनेजा का वह रवैया है जिसके चलते कांग्रेस के कार्यकर्ता ही नहीं एक वर्ग भी बेहद नाराज है। और कहा जा रहा है कि जुनेजा के इसी रवैये के चलते मुस्लिम मतदाताओ का झुकाव आम आदमी पार्टी की ओर बढने लगा है कल आम आदमी पार्टी के प्रदर्शन में भी मुस्लिमों की संख्या अधिक थी और जिस तरह से आम आदमी पार्टी के प्रदर्शन के दौरान उत्साह नजर आया उससे कांग्रेस के कई निष्ठावानों की नींद उड़ गई है।
सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस द्वारा कराये गए सर्वे में भी कुलदीप जुनेजा की हालत पतली बताई गई है और कहा तो यहां तक जा रहा है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी कुलदीप जुनेजा को चेतावनी हुए स्थिति सुधारने कहा है जबकि संकल्प शिविर में जिस तरह से मंच से आनंद कुकरेजा को उतारा गया उसने भी सिंधी समाज की नाराजगी की बात सामने आई है। उत्तर विधानसभा में सिंधी मतदाताओ की बहुलता है और यहां से भाजपा के श्रीचंद सुंदरानी विधायक भी रहे हैं।इधर कुलदीप जुनेजा के इसी रवैए के कारण उत्तर विधानानभा में टिकिट के दावेदारों की संख्या भी बढ़ गई है सूत्रों का तो दावा है कि सिटिंग एमएलए होने के बावजूद इतनी बड़ी संख्या में दावेदार आमतौर पर तभी होते है जब स्थिति नाजूक हो।
उत्तर से अर्जुन वासवानी अजित कुकरेजा, पंकज मिश्रा, आकाश शर्मा सहित आधा दर्जन से अधिक दावेदारों की फेहरिश्त ने कांग्रेस की चिंता बढ़ा दी है। ऊपर से आम आदमी पार्टी की बढ़ती लोकप्रियता के चलते यदि कांग्रेस ने यहां कड़ा रूख अख्तियार नहीं किया तो 75 पार का वादा मुश्किल हो जायेगा।
बताया जाता है कि उत्तर विधानसभा को लेकर और कुलदीप जुनेजा के रवैये को लेकर कई तरह की चर्चा है। जिसमें सबसे बड़ी चर्चा तो भाजपा के नेताओं से कलदीप के नज़दीकी संबंध जो पार्टी के कार्यकर्ताओ को ज़रा भी रास नहीं आ रहा है।
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