साय का संविदा प्रेम...
मुख्यमंत्री बनने से चूक गये अरूण साव अब उपमुख्यमंत्री बनने के बाद ऐसा कोई मौका छोड़ना नहीं चाहते जो एक मुख्यमंत्री के हिस्से में न आता हो। भारी भरकम कई विभाग संभाल रहे अरुण साव के किस्से अब बाहर आने लगे हैं तो इनकी वजह उनका संघ प्रेम भी है लेकिन कहा जाता है कि संघ प्रेम के साथ साथ वे संविदा प्रेमी भी बन गये हैं।
हिंग लगे ने फिटकिरी और रंग चोखा की तर्ज पर चल इस खेल में नियम कायदों को ताक में रखकर सेवानिवृत कर्मचारियों और अधिकारियों को संविदा नियुक्ति देने की चर्चा है ओर चर्चा तो उन लोगों को संविदा देने की भी है जो लेन-देन में खूब विश्वास रखते हैं, लेकिन अरुण साव का संबंध आरएसएस से है इसलिए वे इसमें कितना माहिर है, समझा जा सकता है।
चुनाव के पहले प्रदेश अध्यक्ष बनकर उन्होंने जो भूमिका निभाई थी, अब उसकी भी परते उघड़ने लगी है और अब उपमुख्यमंत्री बनकर वे कितनी सावधानी बरत रहे हैं वह भी काम नहीं आ रहा है।
कहा जाता है कि असल में उनका मुख्यमंत्री नहीं बन पाने की बड़ी वजह वे खुद भी नहीं तलाश पाये हैं, रमन सिंह ओपी चौधरी से लेकर संघ के एक बड़े पदाधिकारी हो या संगठन का काम देखने. चुनाव के दौरान दिल्ली से भेजे गये लोग ।
लेकिन अब अरुण साव किसी को भी कोई मौका देना नहीं चाहते इसलिए वे फूंक फूंक कर कदम तो उठा रहे हैं लेकिन ख़ैर, खून, खाँसी ख़ुशी के साथ प्रेम भी कहां छिपता है।
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