टिकिट मांगने वाले भाजपा के ब्राम्हण नेताओं की मुश्किलें बढ़ी
दक्षिण विधानसभा चुनाव में ब्राम्हण प्रत्याशी की मांग करने वाले भारतीय जनता पार्टी के ब्राम्हण नेताओं के सामने अब नई तरह की दिक्कत आ गई है। कहा जा रहा है कि कई नेता तो मुंह छिपाते घुम रहे है तो कई नेताओं ने चुप्पी ओढ़ ली है।
दरअसल दक्षिण विधानसभा उपचुनाव में ब्राम्हण समाज ने ब्राम्हण प्रत्याशी उतारने दोनों ही प्रमुख दल कांग्रेस और भाजपा पर दबाव बनाया था। समाज के इन नेताकों के साथ भाजपा और कांग्रेस से जुड़े नेताओं ने भी न केवल शिरकत की थी, बल्कि मीडिया के ज़रिये भी अपनी मांगों को जोर-शोर से हवा दी थी।
भाजपा ने ब्राम्हण समाज की मांग की परवाह नहीं करते हुए सुनील सोनी को प्रत्याशी घोषित कर दिया, तब समाज ने कांग्रेस पर दबाव बनाया तो कांग्रेस ने ब्राम्हण समाज की मांग के अनुरूप आकाश शर्मा को टिकिट दे दिया।
ऐसे में भाजपा से जुड़े ब्राह्मण नेता के सामने मुश्किल यह है कि वे सेठ की तिजोरी के आगे न तो कुछ बोल पा रहे है और न ही समाज में जाकर सुनील सोनी का प्रचार ही कर पा रहे हैं।
इसकी बड़ी वजह आने वाले दिनों में निगम चुनाव है। यदि वे अभी ब्राह्मण प्रत्याशी के खिलाफ वोट माँगेंगे तो फिर निगम चुनाव में वे किस मुंह से ब्राह्मण वोट हासिल कर पायेंगे।
कहा तो यहां तक जा रहा है कि समाज के कई पदाधिकारियों ने भाजपा के ब्राम्हण नेताओं को दो टूक कह दिया है कि वे ब्राम्हण प्रत्याशी की खिलाफत न करे।
ऐसे में ब्राम्हण वोटरों को साधने गृह मंत्री विजय शर्मा को पार्टी ने लगा दिया। लेकिन कहा जाता है कि ब्राम्हण समाज के कुछ पदाधिकारियों ने उन्हें भी दो टूक कह दिया कि वे दक्षिण में प्रचार करने की बजाय प्रदेश की कानून व्यवस्थ पर ध्यान दें तो उनके लिए बेहतर होगा।
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