मदनवाड़ा कांड के सुलगते सवाल !
बाकी 29 जवानों को लगी एके 47 या इंसास से गोली !
रायपुर। मदनवाड़ा में एसपी विनोद चौबे सहित 29 जवानों की नक्सली मुठभेड़ में हुई मौत को लेकर एक बार फिर सवाल उठने लगे हैं। सवाल नक्सलियों
ज्ञात हो कि मदनवाड़ा में नक्सलियों ने एसपी विनोद चौबे, टीआई, विनोद धु्रव सहित 29 जवानों की निर्मम हत्या कर दी। इस हत्याकांड पर तब भी सवाल उठे थे लेकिन सिर्फ नक्सली वारदात की वजह से इस पर उतना हो हल्ला नहीं हो पाया। अब इस वारदात को लेकर एक बार फिर मामला गरमाने लगा है।
हमारे बेहद भरोसेमंद सूत्रों की माने तो इस नक्सली हमले में एसपी विनोद चौबे सहित शहीद हुए 29 जवानों में से केवल श्री चौबे की मौत 9 एमएम की गोली से हुई जबकि बाकि सभी 28 जवान या तो एके 47 या इंसास रायफल की गोली से मारे गए। बताया जाता है कि सभी शहीदों के पोस्टमार्टम के बाद आये इस तथ्य को बवाल मचने के डर से न केवल दबाया गया बल्कि जांच तक नहीं की गई।
पिछले दिनों विधानसभा में कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल ने मदनवाड़ा कांड के पोस्टमार्डम रिपोर्ट को सदन में रखने की मांग करते हुए नक्सलियों से सांठगांठ के आरोप भी लगाये हैं। हालांकि मदनवाड़ा कांड को लेकर पुलिस के उ"ााधिकारी की भूमिका को लेकर सवाल पहले भी उठते रहे हैंर्। ज्ञात हो कि झीरम घाटी में कांग्रेस के दिग्गज नेताओं की नक्सली हत्या को लेकर भी कई तरह के सवाल उठते रहे हैं और इसकी जांच तो की जा रही है लेकिन रिपोर्ट अभी तक सामने नहीं आई है।
इधर नक्सलियों के शहरी नेटवर्क को लेकर जिस तरह के चेहरे सामने आये है वह न केवल हैरान कर देने वाले हैं बल्कि इसके तार भाजपा से जुड़े होने को लेकर भी सवाल उठने लगे है। कोण्डागांव के चोपड़ा परिवार के भाजपा के दिग्गज नेताओं से संबंध किसी से छिपे नहीं है लेकिन पुलिस के लिए यह जांच आसान नहीं है। ऐसा नहीं है कि नक्सलियों के शहरी नेटवर्क को लेकर हो हल्ला पहली बार हुआ है इससे पहले भी सरकार के मंत्रियों पर नक्सलियों से सांठगांठ के आरोप लगते रहे है। हालांकि सांठगांठ के आरोपो से कांग्रेस के कई नेता भी नहीं बच पाये हैं।
सूत्रों का कहना है कि मदनवाड़ा ताल मटेड़ा और झीरम घाटी की घटना सांठगांठ को लेकर सवाल खड़ा करते हैं लेकिन इस दिशा में जांच की विशेष कोशिश कभी नहीं हुई। मदनवाड़ा कांड को लेकर एक बार फिर राजनीति गर्म हो गई है तो इसकी वजह वह पोस्टमार्डम रिपोर्ट है जो कई संदेहो को जन्म दे रही है।
बहरहाल यह मामला कितना तुल पकड़ेगा और केवल विनोद चौबे ही क्यों 9 एमएम की गोली के शिकार हुए यह कब पता चलेगा कहना मुश्किल है। देखना है इस पर क्या कुछ होगा।
से सांठ-गांठ को लेकर ही नहीं उठाये जा रहे हैं बल्कि शहरी नेटवर्क में पकड़ाये आरोपियों की राजनैतिक पहुंच को लेकर भी उठने लगे है। मदनवाड़ा कांड में क्या कोई सांठगांठ हुई है यह सवाल तब और खड़ा हो जाता है जब केवल एसपी विनोद चौबे की 9 एमएम की गोली लगने की बात सामने आती है।
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