कोरबा जिले के घुमनीकांड गांव में पिछले हफ्ते जो कुछ हुआ। वह न केवल शर्मनाक घटना है बल्कि अंधविश्वास से उपजे बहशीपनन का नमूना है। 21वी सदी में भी टोनही के नाम पर महिलाओं को प्रताडि़त करना और उस पर कानून के रखवालों की खामोशी क्या बर्बर जुग की याद नहीं दिला रही है।
छत्तीसगढ़ में आज भी टोनही के नाम पर महिलाओं को प्रताडि़त करने का सिलसिला जारी है और पीडि़त को न्याय दिलाने या प्रताडि़त करने वालों को गिरफ्तार करने से पुलिस के हाथ पांव फूलते है।
कोरबा जिले के इस गांव में हुई घटना ने तो इसलिए भी सभी को चौंका दिया है क्योंकि टोनही के नाम पर प्रताडि़त करने वालों में उस महिला का अपना जना बेटा भी शामिल था। 65 साल की वृद्धा के बाल काटकर जिस तरह से गांव में घुमाया गया और उस पर गांव वालों की चुप्पी हमें कहां ले जा रही है।
मानवता को शर्मसार करने वाली यह घटना छत्तीसगढ़ में गांव-गांव में विद्यमान है। गांवो में आज भी टोनही के नाम पर महिलाएं प्रताडि़त की जा रही है और गांव वालों की एकजुटता ने शासन-प्रशासन को खामोश रहने मजबूर कर दिया है। दो दशक पूर्व महासमुंद के बेमचा गांव में क्या कुछ नहीं हुआ था तब टोनही के नाम पर प्रताडऩा को लेकर कड़ी कार्रवाई की बात हुई लेकिन न तो टोनही के नाम पर प्रताडऩा ही कम हुई और न ही कोई बड़ी कार्रवाई ही हुई।
शिक्षा शहर से लेकर गांव तक पहुंच गई है। आधुनिक संसाधनों ने जीवन स्तर तक बढ़ा दिया है लेकिन टोनही को लेकर सोच अब भी जस की तस है। कलयुगी बेटे भरत गोड़ और घुमनीकांड में भी पड़े लिखे लोगों की कमी नही है तब भी टोनही के नाम पर यह घटना हुई। जादू टोने को लेकर ग्रामीण इलाकों में आज भी जागरूकता की जरूरत है। हर घटना के बाद जागरूकता को लेकर बवाल मचता है और जागरूकता की दुहाई दी जाती है।
छत्तीसगढ़ के गांवो में आज भी टोनही बताने वालों की कमी नहीं है। इस अंधविश्वास के चलते कितनी ही महिलाएं प्रताडि़त है लेकिन न तो सरकार ने कभी ऐसे आंकड़े जुटाने को कोशिश की और न ही जनप्रतिनिधियों ने ही इस अंधविश्वास के खिलाफ आवाज उठाई उल्टा वोट बैंक की राजनीति के चलते उन गांव वालों का ही साथ दिया जो टोनही के नाम पर अंधविश्वास को बढ़ावा देते है।
बुढ़ी मां को टोनही मान लेने की इस घटना ने एक बार फिर हमारी सोच और शिक्षा पर सवाल उठाया है। क्या सरकार टोनही को लेकर उपजे अंधविश्वास को लेकर कोई कहानी पाठयक्रम में शामिल नहीं कर सकती। सवाल यह भी है कि आखिर टोनही के नाम पर प्रताडऩा कब तक चलेगी।
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