पिछले दिनों राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने जब कहा कि केन्द्र सरकार से बेहद लापरवाही हुई है तो इस बात की गंभीरता को समझना होगा कि आखिर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किस हद तक और कहां कहां लापरवाही की क्या इस देश में कोरोना की वजह से हुई तबाही और मौतों की जिम्मेदारी उनकी नहीं होनी चाहिए।
मोदी सत्ता की लापरवाही को आप गिनते-गिनते थक जाओगे? हालांकि इस सत्ता का प्राय: हर निर्णय आम लोगों की तकलीफों में ईजाफा करने वाला रहा है, तब मोहन भागवत का पहली बार मोदी सरकार पर निशाने को पानी का सिर से उपर चढ़ जाने के महावरे को चरितार्थ करता है वरना संघ तो ऐसे ही सत्ता चहती रही है।
कोरोना काल में हुई बेहिसाब मौते, परिवार का परिवार तबाह होना, सैकड़ों बच्चों का अनाथ होना और लाखों लोगों का गरीब हो जाने की जिम्मेदारी मोदी सत्ता की इसलिए भी है क्योंकि इस आपदा को लेकर पूरी दुनिया ने पहले ही चेतावनी दे दी थी और यहां की प्रमुख विपक्षी पार्टी ने भी सरकार को लापरवाही न बरत इसे गंभीरता से लेने कहा था लेकिन बहुमत का दम्भ ने किसी की नहीं सुनी और हालात सबके सामने है।
कोरोना को लेकर डब्ल्यूएचओ सहित दुनिया के कई देशों ने दिसम्बर 2019 में पहली चेतावनी दी थी, लेकिन मोदी सरकार ने कुछ भी नहीं किया। तब जनवरी के अंतिम दिनों में भारत में कोरोना का पहला मामला सामने आया और फरवरी में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने चेताया कि सत्ता अभी भी कुछ नहीं कर रही है शीघ्र निर्णय लिया जाना चाहिए। लेकिन बढ़ते केस के बावजूद मोदी सरकार खामोश रही और कोरोना से लडऩे की बजाय तत्कालीन अमरीका राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प को जीताने के अभियान के तहत गरीबी छुपाने दिवाल खड़ी करते हुए नमस्ते ट्रम्प का भीड़ भाड़ वाला आयोजन कर डाला।
कोरोना की रफ्तार लगातार बढ़ रही थी, अब तो लोग मरने भी लगे थे कई जगह से हाहाकार मचने की खबरें आने लगी लेकिन मोदी सरकार ने कोरोना के खिलाफ तब तक कुछ नहीं किया जब तक मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह की सरकार नहीं बनी। जिस तरह से सरकार बनते ही लॉकडाउन का निर्णय लिया गया उससे स्पष्ट है कि केवल सत्ता के लिए विलंब किया गया वरना गंभीरता को सरकार समझ रही थी नहीं तो अचानक लॉकडाउन का निर्णय नहीं लेती।
मोदी सरकार की लापरवाही यही नहीं रुकती है, सत्ता के मोह में अचानक लिये गए निर्णय से देशभर में राशन से लेकर दूसरी जरूरतों का अभूतपूर्व संकट खड़ा हो गया, इसके बाद लॉकडाउन की तारीख बढ़ते ही देशभर में अफरातफरी मच गई, क्योंकि सरकार ने अब तक लॉकडाउन में फंसे लोगों के लिए कोई उपाय नहीं किया था, फंसे लोग ही नहीं अनिश्चितता की वजह से बड़ी संख्या में मजदूरों की घर वापसी शुरु हो गई।
मजदूरों की घर वापसी का मंजर बेहद खौफनाक, दर्दनाक था, कई किलोमीटर की दूरी तय करने परिवार के परिवार निकल पड़े, छोटे बच्चे, महिलाएं कोई नहीं रुक रहा था और घर वापसी थी मौत का कहर बनकर टूटने लगा, रास्ते में, पटरियों में मौतों का मंजर भयावह था। इतने रुदन और वेदना के बाद कहीं मोदी सत्ता ने गरीबों के लिए मदद की घोषणा की लेकिन मध्यम वर्ग के लिए सरकार के पास कोई योजना न तब थी न अब है। (जारी)
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