मूणत की मलाई पर नजर…
हालांकि सभी से यह कहना ठीक नहीं होगा कि बिल्ली के भाग से छींका टूटा, लेकिन बृजमोहन अग्रवाल यानी मोहन सेठ के इस्तीफ़े से सबसे ज्यादा कोई खुश है तो वह रायपुर पश्चिम के विधायक राजेश मूणत का नाम लिया जा रहा है।
पन्द्रह साल रमन राज में मंत्री रहने माले राजेश मूणत के बारे में कहा जाता है कि 2018 का चुनाव वे अपनी जुबान और अहंकार की वजह से ही हारे थे। और जब 2023 में सत्ता मिली तो उन्हें मंत्री नहीं बनाने के पीछे भी तरह तरह के चर्चे हैं। कथित सीडी कांड के अलावा उन पर डॉ. रमन सिंह के हनुमान होने का भी तमगा है। और शायद यही वजह है कि पंद्रह साल मंत्री रहने वाले इस नेता को चुनाव जीतने के बाद भी कुछ नहीं मिला।
हालांकि उनके समर्थक दम भरते रहे कि मंत्रीमंडल के विस्तार में राजेश मूणत का नम्बर सबने उपर हे और अब जब रमन सिंह की नीचे से लेकर उपर तक चलने की चर्चा है तो राजेश मूणत का मंत्री बनना तय मान समर्थक खुशियां भी मना रहे हैं।
कहा जाता है कि के मंत्री बनने के लिए साम दाम का जमकर उपयोग किया ही जा रहा है। मध्यप्रदेश वाला एप्रोच भी लगाया जा रहा है।
चर्चा तो इस बात की भी है कि बृजमोहन अग्रवाल को मोहन सेठ का नाम भूपेश बघेल से पहले किसी और ने नहीं राजेश मूणत ने ही दिया था, और डाक्टर साहब का राजेश मूणत को पंद्रह साल मंत्री बनाये रखने की प्रमुख वजह में से हनुमान के अलावा एक बड़ी वजह सेठ का काट समझा जाना है।
यानी चर्चा गरम है डाक्टर साहब की जब चल रही है तो राजेश मूणत को मलाई मिलना तय है।
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