समस्या ग्रस्त साव
छत्तीसगढ़ के उपमुख्यमंत्री अरुण साव इन दिनों अपनी कार्यशैली ही नहीं बयानों को लेकर भी खूब सुर्खियां बटोर रहे है, तो मुख्यमंत्री खेमे के लोगों ने तो उनका नाम ही बदलकर समस्याग्रस्त साव रख दिया है और सामान्य बोलचाल की भाषा में इसी नाम का इस्तेमाल करते हैं।
उपमुख्यमंत्री साव की पीड़ा यह है कि वे मुख्यमंत्री नहीं बन पाये पार्टी अध्यक्ष रहते हुए उन्होंने भरोसे की भैस को पानी में डाल दिया और पार्टी को सत्ता दिलाई, जबकि 2003 में पार्टी अध्यक्ष के बाद डॉ. रमन सिंह को मुख्यमंत्री बना दिया गया था।
कहा जाता है कि पहले ही मुख्यमंत्री नहीं बन पाने की पीड़ा को झेल रहे अरुण साव को दूसरा झटका तब लगा जब तोखन साहू को केंद्र में मंत्री बना दिया गया, यानी साहू समाज के बड़े नेता का तमगा भी हाथ से अब निकल - तब निकल की स्थिति में है।
यही वजह है कि योग दिवस पर उन्होंने कुछ अलग ही योग कर दिया, शिक्षामंत्री बृजमोहन अग्रवाल को छ माह पद पर बने रहने वाला बयान दे दिया, जबकि मोहन सेठ का इस्तीफ़ा स्वीकृत हो चुका था।
अब लोग इस बयान का अपने अपने ढंग से अर्थ निकाल रहे है और कह रहे हैं कि मोहन सेठ के साथ हो रहे इस खेल के पीछे कहीं लोग ये न समझ ले कि यह सब अरुण साव करवा रहे हैं, इसलिए यह बयान दिया गया है, तो कोई इस बयान को उनके विभाग के खेल में मुख्यमंत्री की नजर पड़ जाने से जोड़ रहे हैं। अब विभाग में खेल होगा तो नजर तो पड़नी ही है और नजर मुख्यमंत्री की पड़े या न पड़े, अफसरों में चौधराहट चलाने वाले चौधरी की तो पड़ हो जायेगी। चौधरी यानी शाह…!
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