भावना ऐसे उजागर हुई…
यह तो पूत के पाँव पालने में दिखाई देने वाली कहावत को ही उजागर करता है वरना पंडरिया की विधायक भावना बोहरा के खिलाफ न तो ऐसे आरोप लगते और न ही वे पार्टी में चर्चा में हीं आती।
दरअसल भावना बोहरा की पहचान सिर्फ पंडरिया विधायक की ही सिर्फ़ नहीं है इससे इतर वे रमन सिंह के कैसे-कैसे रिश्तेदार के रूप में भी है। अब रमन सिंह की रिश्तेदार हो तो वीआईपी कल्चर का ताम-झाम भी स्वाभाविक है और पैसो की राजनीति या राजनीति में पैसों असर भी होना है। और फिर उन्हें स्कूल चलने चलाने के अलावा एनजीओ चलाने का भी अच्छा ख़ासा अनुभव है। अब उनके एनजीओ को ग्रांट मिलता था या नहीं, या कहाँ कहाँ से मदद मिलती थी यह जाँच का एक अलग ही मसाला है।
लेकिन ताजा मामला तो किसानी से जुड़ा मामला है और आरोप भी ऐसा वैसा नहीं है, गाँव के किसान ही शिकायत ले के पहुंच गये । तीन ट्रक डीएपी खाद खाली कराने का मामला तो अब राजधानी में गूंजने लगा।
मामला तो उनसे आसानी से नहीं मिल पाने का पहले से ही गूंज रहा है।, चुनाव जीतने के बाद रायपुर से राजस्थान तक के दौरे की नई नई खबर को कांग्रेस ने मुद्दा बनाकर तुल देना शुरु कर दिया है। लेकिन कांग्रेसी शायद भूल गये है कि भावना बोहरा कोन है…?
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