लाल-बत्ती के लिए लार...
वैसे तो सत्त्रा मिलते ही कई भाजपाई लाल बत्ती के लिए लार टपकाते घूम रहे हैं, जिसमें रमन राज में पूरे पन्द्रह साल मलाई खाने वाले नेता शामिल है तो पार्षद तक का चुनाव नहीं जीत पाने वाले छगन-राजीव जैसे नेता है या वसूलीबाजी में माहिर संजय का नाम गिन लो या शराब में नंदन वंदन करने वाले नेताओं का नाम शामिल कर लो लेकिन इन सबसे इतर प्रदेश भाजपा में अपने को सबसे होशियार समझने वाले शिवरतन शर्मा की अपनी ही कहानी है।
कहा जाता है कि रायपुर लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले विधानसभा क्षेत्रों में से इकलौता यही एक क्षेत्र है जहां से भाजपा बुरी तरह हारी आठ सीट भाजपा जीत गई और सिर्फ यही सीट माथे में कलंक जैसा रह गया। क्योंकि यहाँ से शिवरतन शर्मा की वजह से भाटापारा की सीट कांग्रेस जीत गई।
हकलौते इसी सीट से हारने के बावजूद शिवरतन यदि लालबत्ती यानी निगम मंडल में नियुक्ति के लिए जोर आजमाईश कर रहे हैं तो इसकी वजह को लेकर पार्टी के भीतर भी कई तरह की चर्चा है। और हारने की वजह तो किती से छिपा नहीं है, वजह सिर्फ राईस मिल वाला मामला होता तो उतनी चर्चा नहीं होती लेकिन अब तो उनकी जुबान को लेकर भी कई तरह के किस्से सामने आने लगे है । कोई कोई तो यहाँ तक कहने लगे हैं कि जुबान खुलते ही की... टपकने लगते हैं तो कोई कुछ और..
लेकिन शिवरतन शर्मा को लगता है कि भाजपा की जीत की कहानी लिखकर और भूपेश बघेल के खिलाफ विषवमन करने का लाभ पार्टी लालबत्ती के रूप में दे ही देगा, भले ही भाटापारा के कार्यकर्ता कितने ही खिलाफ होकर चुनाव हरवा दे।
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