तुम्हारा बीज अंकुरित हो रहा.. ठहाका लगाइए
राहुल गांधी ने जब बीजेपी वाले हिंदुओं या आरएसएस वाले हिंदुओं की हिंसा पर प्रहार किया तो नरेंद्र मोदी विचलित हो गये, शायद भागवत भी । लेकिन राहुल रुके नहीं उन्होंने कहना जारी रखा कि बीजेपी आरएसएस या नरेंद्र मोदी हिंदू समाज नहीं है।
उनके इस बयान पर देश भर के भाजपाई पुतला जलाने लगे लेकिन सच बदला नहीं और चौबीस घंटे में ही अहमदाबाद स्थित कांग्रेस कार्यालय में यही बीजेपी आरएसएस वाले हिंसक हिंदूओ ने तोड़फोड़ पथराव शुरू कर दिया ।
सच तो यही है जो राहुल ने कहा और इसका सबूत अहमदाबाद में कांग्रेस कार्यालय में पत्थरबाज़ी के अलावा भी कई है
वडोदरा शहर के हरणी इलाके में मुख्यमंत्री आवास योजना 2017 के अंतर्गत (मोटनाथ रेजीडेंसी कोऑपरेटिव हाउसिंग सर्विसेज सोसाइटी लिमिटेड) के 462 फ्लैट में एक मुस्लिम महिला को आवंटित किया गया. 33 आंवटियों ने जिला कलेक्टर से शिकायत की. इस मांग के साथ लोगों ने जय श्री राम के नारे लगाएं.
मसला वही सांप्रदायिक. यहां गौर करने वाली बात यह भी है कि एक परिवार के ख़िलाफ़ 461 परिवार विरोध दर्ज कर रहे हैं, संशय और भय अल्पसंख्यक महिला को होना चाहिए, लेकिन भगवान का नाम लेकर वही लोग बाँह चढ़ाये खड़े थे जो नफ़रत को आत्मसात किए हुए है जिन्हें उस हिन्दुवादियों ने कट्टरता का पाठ पढ़ाया हैं.
कब किस ईश्वर, अल्लाह या ईसा ने नफ़रत और सांप्रदायिकता का पाठ पढ़ाया? कौन सा वेद, कुरान या बाइबल कहती है कि लोगों से दूरी बनाओ? कहां लिखा है कि एक बिरादरी के लोग दुनिया को स्वर्ग बनाते हैं?
21वीं सदी के मुहाने पर छुआछूत, अलगाव, धार्मिक कट्टरता, वैमनस्यता किस तरह वाजिब ठहराई जा सकती है. हम एक लंबे सफ़र के बाद जहां हजारों कुर्बानियां, शहादते दी गई यह मुकाम हासिल किया अमन और चैन से बड़ी और कोई जीवन नहीं।
खेल सियासत का है. यह बहुत से मुल्कों में है कि लोगों को आपस में लड़वाओ, उन्हें धार्मिक और जाति के मसले पर फंसे रहने दो, ताकि पहले सियासत अपने काम को अंज़ाम दे सके.
और शायद सत्ता के लिए यही कुछ हो रहा है हालाँकि इसकी उम्र ज़्यादा नहीं होती लेकिन तब तक बहुत कुछ खो जाता है जिसकी भरपाई मुश्किल हो जाती है
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