कमाहूँ नहीं त काला खाहूँ…
साम्प्रदायिकता के सहारे चुनाव जीतकर विधायक बने ईश्वर साहू के बारे में कहा जाता है कि वे शुरू से ही खाटी भाजपाई रहे हैं और पेलिहा संग पंगनहा हारे की तर्ज पर उनका चाल-चलन गांव से लेकर पूरे विधानसभा में चर्चित होने लगा है लेकिन अब वे भी खाटी भाजपाई की तरह पूरे प्रदेश में फेमस हो गये है तो उसकी वजह उन पर लगने वाला वह आरोप है जिससे भाजपा के सभी विधायक ही नहीं पार्टी भी सकते में हैं।
पार्टी ने साजा विधानसमा से दिग्गज कांग्रेसी रविन्द्र चौबे के खिलाफ जब ईश्वर साहू को टिकिर दिया था तो उसने भी नहीं सोचा था कि ईश्वर साहू इतने बड़े फ़क़ीर निकलेगे। अब जब मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने जनदर्शन लगाना शुरू किया तो पहले ही जनदर्शन में ईश्वर साहू की पोल खुल गई। मामला दबाने के लिए ईश्वर साहू पर दो लाख रुपये लेने का आरोप लग गया।
भले ही सरकार ने इस खबर को प्रमुख मीडिया संस्थानों में छपने से रोक कर पार्टी की इज्जत बचा लिया हो लेकिन खबरे तो लोगों तक पहुंच ही गई है। तो दूसरी ताफ ईश्वर साहू के दूसरे खेल का खुलासा भी होने लगा है।
हालांकि ईश्वर साहू तो पैसों को लेकर उसी दिन चर्चा में आ गये थे, जब विधानसमा चुनाव में खर्च का ब्योरा सामने आया था। उन्होंने खर्च के मामले में विष्णुदेव साय तो छोड़िये मोहन सेठ को भी पछाड़ दिया था, जबकि उसकी कमाई तब 25 हजार रूपये महिना की थी। अब यह पैसा कहाँ से आया, क्या कोई एजेंसीं जांच करेगी , यह एक अलग सवाल है।
लेकिन पार्टी को समझ नहीं आ रहा है कि मामला जब विधानसभा में उठेगा तो क्या जवाब दिया जाएगा ।
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