जलेबी की फ़ैक्ट्री और ट्रोलर गैंग की कुंठा
हरियाणा में राहुल गांधी ने जलेबी की फैक्ट्री क्या बोला, ट्रोलर गैंग बिलबिलाते बाहर आ गये, और वॉट्साप यूनिवर्सिटी में कापी पेस्ट कर अपने वॉल पर चेपने लगे।
न तो इन्हें तथ्य और तर्क से लेना देना है और न ही इसमें सामाजिक, सांस्कृतिक व्यापारिक या व्यवहारिक ज्ञान ही होता है , बस उन्हें नफरत का खेल खेलना है
ऐसा नहीं है कि ट्रोलर पक्ष सिर्फ हिन्दुवादी संगठनो में ही शामिल है, मुस्लिमवादी से लेकर हर पक्ष में यह गैंग आपको मिल जायेगा, ज्ञान के स्तर पर कुंठित और दरिद्र लोगों का यह समूह कॉपी-पेस्ट करते समय यह भी नहीं सोचता कि इससे उनकी अपनी ही बेइज्जती हो रही है, घोर बेइज्जती ।
राहुल गांधी के जलेबी की फ़ैक्ट्री वाले बयान को मिम्स और चुटकुलों के जरिये मजाक उड़ाने वालों की बुद्धि पर तरस इसलिए भी आता है क्योंकि जिसे वे अपने माई-बाप बताकर कॉपी पेस्ट करते है वह सांस्कृतिक राष्ट्रवाद का दावा करते नहीं थकता ।
अचानक बिलबिलाते लोग जलेबी की खेती वाले मिम्स बनाकर कहने लगे कि जलेबी तो हलवाई की दूकान में बनता है न कि फैन्ही में।
पर इन कोपी पेस्ट वाले ट्रोलरों को क्या पता कि हलवाई अपनी दूकान के लिए मिठाई या जलेबी बनाते है, वे इन निर्माण स्थलों को कारखाना या फैक्टरी ही कहते है, सिर्फ़ हलवाई ही नहीं बड़े बड़े टेलरिंग शॉप वाले भी जहाँ अनेको दर्जी बिठाकर सिलाई करवाते है उसे भी सिलाई कारख़ाना या फ़ैक्ट्री ही कहते है। मिक्चर फैक्ट्री, मिठाई कारख़ाना यह आम बोलचाल में है। यही रायपुर के बड़े प्रतिष्ठित मिठाई दुकान वाले जहाँ उनकी मिठाइयाँ जलेबी और नमकीन बनती उसे कारख़ाना या फ़ैक्ट्री ही कहते हैं, पेठा कारख़ाना या फ़ैक्ट्री तो इसी शहर में चर्चित है।
अब इन लोगो को मिलने वाले ज्ञान के संस्कार केंद्र को सांस्कृतिक राष्ट्रवाद कह देने भर से संस्कारी तो होगा नहीं…।
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