जब से मोदी सत्ता की लापरवाही के चलते इस देश में नरसंहार की तस्वीरे आई है एक नये तरह से सत्ता की छवि चमकाने का उपक्रम शुरु हो गया है, ट्रोल आर्मी और वॉट्सअप युनिर्वसिटी ने एक नया खेल शुरु कर दिया है वह खेल है ''हौसला मत टूटने देना इस मोदी का भले ही पेट्रोल दो सौ हो जाए, खाने का तेल तीन सौ हो जाए नहीं तो हिन्दू खत्म हो जायेंगे ये देश इस्लामी देश बन जायेगाÓÓ।
कोरोना की इस भीषण महामारी में भी यदि सत्ता सोचती है कि वह इस नरसंहार के बाद भी अपनी रईसी बरकरार रखने और छवि चमकाने में इन ट्रोल आमी और वॉट्सअप युनिर्वसिटी के भरोसे कामयाब हो जायेगी तो वह क्या गलत सोचती है क्योंकि नफरत के बीज इस गहरे तक बोया गया है कि कोई हिन्दू-मुस्लिम के अलावा सोच भी नहीं पा रहा है।
पहले कार्यकाल की घोर नाकामी के बाद भी मोदी सरकार दूसरी पारी के लिए जीत गई तो इसकी वजह सिर्फ और सिर्फ हिन्दू मुस्लिम है ऐसे में यदि 2024 में मोदी सरकार को आने से कौन रोक सकता है। हिन्दू-मुस्लिम की राजनीति का प्रभाव को लेकर भले ही भारतीय जनता पार्टी सीधी बात न करे लेकिन सच तो यही है कि इस खेल ने देश की बर्बादी की राह तो तैयार कर दी है। सत्ता की लापरवाही के चलते हो रहे नरसंहार पर न्यायालय की लगातार लताड़ और लानत के बाद भी सत्ता की बेशर्मी बढ़ते ही जा रही है, न्यायालय ने जिस तरह की भाषा का इस्तेमाल मोदी सत्ता के लिए किया है वह किसी भी व्यक्ति के लिए डूब मरने वाली बात है लेकिन सत्ता को इन सबसे कोई मतलब नहीं है।
कोरोना की महामारी से मरने वालों में हिन्दुओं की संख्या ही लाखों में है तब आने वाले दिनों में जब प्रतिशत में मुस्लिम आबादी बढ़ते दिखाई देगी तो वह सत्ता के लिए वोट पाने का जरिया बनेगा। नरसंहार सिर्फ बीमारी से ही नहीं हो रहा बल्कि बेरोजगारी भी इसमें मदद कर रही है। मोदी सरकार के आने के बाद करोड़ लोगों से अधिक की नौकरी चली गई। इंडियन इकानामी के ताजा आंकड़े बेहद डरावने है लेकिन सत्ता को इससे मतलब नहीं।
इसके अलावा बढ़ती महंगाई भी लोगों को मौत के नजदीक ढकेल रही है। महंगाई को रोक पाने में सरकार बुरी तरह असफल हो चुकी है और मध्यम वर्ग तेजी से गरीब होते जा रहे हैं। किसान तो वैसे भी मर रहे हैं। लेकिन सरकार की प्राथमिकता आज भी सेन्ट्रल विस्टा और उस जैसे प्रोजेक्ट है जो रईसी का नया इतिहास गढ़ लेना चाहती है। इसके बाद भी यदि हौसला न टूटने देना का खेल, खेल छवि चमकाने की कोशिस हो रही है तो उसमें यह भी जोड़ देना चाहिए कि फिक्र न करे राम मंदिर के बाहर पर्याप्त भीख मिलेगी।
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