सेन्ट्रल विस्टा के निर्माण को जब केन्द्र सरकार ने अतिआवश्यक सेवा घोषित कर दिया है तब न्यायालय का फैसला तो वही होना था जिसका अंदेशा था, क्योंकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी उन लोगों में से है जो अपनी शौक के आगे किसी को ठहरने नहीं दे सकते, भले ही वे खुद मजाक बन जायें या देश के लोगों की हालत खराब हो जाए। भले ही उनके फैसलों से लोगों की जान गई हो या देश आर्थिक बदहाली की ओर चला गया हो वे अपनी शौक के आगे किसी की नहीं सुनते, अपवाद नौ लाख वाले सूट को छोड़ कर।
ऐसे में सेन्ट्रल विस्टा की बात करने से पहले पाठकों को स्मरण दिलाना जरूरी है कि वे गरीब घर के हैं और उन्होंने चाय तक बेची है, शायद यह गरीबी की वजह से वे अपनी शौक पूरी नहीं कर पाये थे और आज जब सत्ता के सर्वोच्च पद पर है तो एक-एक करके अपनी सभी शौक पूरा कर रहे हैं। मोदी जी के कपड़े और जैकेट का शौक तो उनके चहेते लोगों के उपहार से ही पूरा हो जाता है, चश्मा और दो ढाई लाख का पेन भी शायद उनके चाहने वाले ही पूरा कर देते हैं, खानपान का शौक मोदी जी को कितना है मशरुम काजू का आटा वगैरह-वगैरह किसी से छिपा ही नहीं है। तब सरकारी संपत्ति यानी सरकारी खर्चे से जो शौक पूरा किया गया है उस पर चर्चा इसलिए भी जरूरी है क्योंकि जनता को तय करना है कि यह शौक कितना शानदार है और राजा का शौक निराला तो होता ही है, इतिहास राजाओं के शौक के किस्से से अटा पड़ा है।
सेन्ट्रल विस्टा के बारे में बताने से पहले प्रधानमंत्री मोदी के उन शौक को भी जानना जरूरी है जो वे प्रधानमंत्री बनते ही पूरा करने लगे, इसे उनके समर्थक समय की जरूरत भी कह सकते है लेकिन इससे पहले देश के प्रधानमंत्री एक बंगले में रहते थे लेकिन नरेन्द्र मोदी के लिए पांच बंगले मिलाकर एक बंगला बनाया गया कल्याण मार्ग भी नाम जोरदार है। इसके बाद पूर्व प्रधानमंत्री के काफिले में शामिल बीएमडब्ल्यू 7 को बदला गया और इसके बदले रेंज रोवर का काफिला खरीदा गया, चूंकि बीएमडब्ल्यू सीरिज सेडान है और सामने सीट में बैठने वाले जनता को ठीक से नहीं दिखते थे और नरेन्द्र मोदी को फोटो शोटो और दिखने दिखाने का शौक है शायद इसलिए वाहनों का काफिला ही बदल दिया गया। ऐसा मानने वाले मोदी विरोधी ही है जबकि समर्थक इसे जरूरत ही बता रहे हैं। इसमें सरकार का कितना खर्च हुआ सुरक्षा कारणओं से बताना उचित नहीं है।
लेकिन सबसे बड़े लोकतंत्र के प्रधानमंत्री को अमेरीका से होड़ भी करना है इसलिए एयर इंडिया वन खरीदा गया आठ हजार चालीस करोड़ का खर्च होना बताया जा रहा है। चूंकि शौक से बड़ी चीज दुनिया में कुछ नहीं है और शौक यदि सरकारी खजाने से पूरी हो तो फिर यह समय भी जरूरत के रुप में प्रचारित किया जाता है। यह अलग बात है कि देश में आज भी ईलाज के अभाव में लोग दम तोड़ रहे हैं, बेरोजगारी और महंगाई ने आम लोगों का जीवन नारकीय कर दिया है लेकिन हौसला इस व्यक्ति का नहीं तोडऩा है क्योंकि ये न होगा तो हिन्दुतत्व खतरे में पड़ जायेगा, ऐसा इन दिनों वाट्अप युनिवर्सिटी के विद्यार्थी जोर-शोर से कह रहे हैं। सेन्ट्रल विस्टा को लेकर नवभारत टाईम्स के खुलासे के अनुसार सेन्ट्रल विस्टा में प्रधानमंत्री का जो बंगला बनेगा वह 15 करोड़ में बनेगा, जिसमें सभी तरह का आधुनिक सुविधा होगी, यह किसी महल से कम नहीं होगा और पुराने जमाने के राजा महाराजाओं की तर्ज पर इसके किले के भीतर परींदा भी पर नहीं मार सकता।
खर्च कितना भी होगा शौक के आगे कुछ नहीं है, हम यह नहीं कहेंगे कि इस भीषण महामारी में इसकी क्या जरूरत है क्योंकि शौक से बड़ी चीज न देश है और न ही धर्म है।
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