केदार का करामात...
रमन राज में अपनी करामात दिखा चुके प्रदेश के वन मंत्री केदार कश्यप के बारे में वन कहा जाता है कि सब सुधर जाये तो सुधर जाये केदार नहीं सुधरेंगे ? और यही वजह है कि अपनी हरकतों की वजह से 2018 के चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था। और इस बार भूपेश विरोधी लहर में चुनाव जीतने के बाद साय सरकार ने उन्हें मंत्री तो बना दिया लेकिन वे अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे हैं और एक बार फिर अपनी करामात दिखाना शुरु कर दिया है।
दरअसल केदार कश्यप की अपनी पहचान क्या है कहना मुश्किल है। वे बस्तर के कद्दावर माने जाने वाले नेता स्व बलिराम कश्यप के पुत्र है। बलिशम कश्यप की दबंगई के सामने पार्टी में पटवा - लखीराम गुट पानी मांगते थे । लेकिन केदार कश्यप की राजनीति को लेकर कहा जाता है कि स्व-बलिराम जितने दबंग थे केदार कश्यप उतने ही पिलपिले हैं। तो वे पिलपिले है या नहीं यह ये कहना कठिन है। लेकिन छत्तीसगढ़ में वन मंत्री के मायने क्या यह किसी से छिपा नहीं है। इससे पहले रमन राज में वन मंत्री रहे विक्रय उसेंडी को लेकर जो चर्चा उसी तरह की चर्चा अव एक बार फिर शुरू हो गई है। कैम्पा मद से लेकर जंगल तस्करों से अधिकारियों के खेल की केदार कश्यप अब समझ चुके हैं, लेकिन कितना समझे हैं इसका तो पता नहीं लेकिन उनके करामातों की चर्चा जब राजधानी पहुंची तो उन्हें चेतावनी मिलने की भी चर्चा है।
कहा जाता है कि इस चेतावनी के बाद खेल तो बदल गया है लेकिन करामात जारी है।
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