गोपाल का ग़ुस्सा…
यह तो आ बैल मुझे मार की कहावत को ही चरितार्थ करता है वरना शांत स्वभाव के माने जाने वाले संधी गोपाल कृष्ण अग्रवाल ऐसे समय में मोदी-शाह पर गुस्सा कतई नहीं करते जब मोदी- शाह की ताकत के आगे भाजपाई भीगी बिल्ली बने बैठे हैं।
कभी अपने पीडीएम के जरिये गद्रे भवन से लेकर आदिवासी कल्याण आश्रम को रसद पहुंचाने के लिए चर्चित गोपाल कृष्ण अग्रवाल की पहचान सिर्फ इतनी भर नहीं है कि वे संघ के महानगर प्रमुख भी रह चुके हैं। और संघ के दमदार नेताओ में गिने जाते हैं। उनकी एक पहचान तो मोहन सेठ के बड़े भाई के रूप में भी है। वही मोहन सेठ जिसकी इन दिनों पार्टी में जमकर छिछालेदर ही नहीं बे-इज्जती करने का कोई मौक़ा नहीं छोड़ा जा रहा है।
और शायद यही वजह है कि गोपाल अग्रवाल का भाई प्रेम जाग गया और वे फेस बुक पर मीडिल क्लास की तकलीफों के बहाने वह बात लिख गये जो दिल्ली की सत्ता को पसंद नहीं आने वाला है।
गोपाल अग्रवाल ने जो लिखा वह तो लिखा ही उनको खुश करने के चक्कर तारीफ में कई भाजपाई उनकी तारीफ़ कर गये। इनमें से एक छगनलाल मुंदड़ा जैसे भाजपाई भी है जो मोहन सेठ के विरोधियों के साथ खिचड़ी पकाते रहते है। मुंदड़ा ने तारीफ क्यों की इसकी अपनी कहानी है, कहा जाता है कि वे कुछ बड़ा खेल करने वाले हैं जिसमें साथ चाहिए।लेकिन सत्ता जाते ही दान-पत्र से जमीन देने की पीड़ा झेल रहे गोपाल अग्रवाल ने फेसबुक पर यह पोस्ट क्या मोहन सेठ के कहने पर लिखी है या फिर साय सरकार से कोई काम निकलवाने दबाव की राजनीति है।
सवाल तो कई हैं लेकिन इस पोस्ट की चर्चा के अब दिल्ली पहुंचने की चर्चा है और लोगों से क्रिया की प्रतिक्रिया का इंतजार...!
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