लखन लाल की लीला ...
विष्णुदेव साय सरकार के उद्योग मंत्री लखनलाल देवांगन की महापौर बनने से लेकर विधायक और फिर मंत्री बनने की अपनी अलग ही कहानी है। कहते हैं कि लीला दिखाने में माहिर लखनलाल की मुश्किल यह है कि वे सत्ता में चल रही आपानी खींचतान में फँस गये हैं, और हालत यह है कि उन्हें उनको लिलाओं की वजह से चेतावनी भी मिल चुकी है।
ऐसा भी नहीं है कि उद्योग जैसे भारीभरकम विभाग को चलाने में उन्हें कोई दिक़्क़त है। क्योकि महापौर रहते हुए उन्होंने उद्योगों के खेल को बड़ी ही नज़दीक से समझा और जाना है और जमीन भी खूब नापा है। आखिर कोरबा में जयसिंह आग्रवाल को साधना आसान भी नहीं है। लेकिन अब जिस तरह से चेतावनी मिली है उससे वे हतप्रभ है। उनने पद संभालते ही जिस तरह से स्पेशल ब्लास्ट फ़ैक्ट्री में विस्फोट हुआ वह तो जैसे तैसे निपट गया। लेकिन अब उद्योगों में जो समस्या है वह उनके गले का फांस बनता जा रहा है। श्रम क़ानून के उल्लंघन का मामला तो जैसे तैसे टाल ही दिया गया, क्योंकि गरीबों का कोई पूछने वाला नहीं होता।
लेकिन मंत्रीमंडल के सदस्यों की बढ़ती सिफारिशों ने उनके लीला दिखाने के मार्ग में जरूर रोढ़ा बनता जा रहा है, उपर से अडानी की कंपनियों के विस्तार के अलावा उघोगों को दी जाने वाली छूट का ऐसे ऐसे मामले सामने है कि एक कुँआ तो दूसरी तरफ खाई की स्थिति बन गई है। किसी और की नहीं उन पर खजाना संभालने वाले मंत्री की नजर है जो अमित शाह के करीबी तो है ही, प्रशामनिक अफसरों को भी अपनी मुट्ठी में कसकर बांध रखा है। तब उन्हें कैसी कैसी लीला करना पड़ रहा है, बता भी नहीं पा रहे हैं।
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