चोपड़ा पर भारी
सेठ की यारी...
महासमुंद से निर्दलीय चुनाव लड़कर विधायक बन चुके विमल चोपड़ा को उम्मीद है कि भारतीय जनता पार्टी की साय सरकार उन्हें इस बार लाल बत्ती दे ही देगी। दो बार भाजपा को आँख दिखाकर चुनाव लड़ चुके विमल चोपड़ा की परेशानी ये है कि भाजपा की टिकिट पर वे चुनाव नहीं जीत पाये और न ही राजधानी वाले सेठ की यारी ही छोड़ पा रहे हैं।
और जब रायपुर वाले सेठ को ही साय सरकार पसंद नहीं करती तो फिर लाल बत्ती के सपने का क्या होगा । कहते हैं कि भाजपा से बार-बार बगावत करने की वजह से महासमुद्र के भाजपाई उन्हें पसंद नहीं करते हैं और लाल बत्ती की चर्चा ने उनके विरोधियों को लामबंद कर दिया है, हालांकि वे इन दिनों संगठन और रमन सिंह का खूब चक्कर लगा रहे हैं।क्योंकि सेठ की हालत क्या है वह किसी से छिपी नहीं है, सेठ की हालत ऐसी है कि अपना धोए या…।
वैसे भी सेठ की राजनीति का केंद्र रामपुर है और वे विमल चोपड़ा की बजाय मोहन चोपड़ा पर ज्यादा दांव लगाने में विश्वास रखतें है, यही कारण है कि पिछली बार माहेन चोपड़ा को बच्चों वाले विमाग में बिठाने में वे सफल हो गये थे क्योंकि तब रंगा-बिल्ला की धमक नहीं थी।और नाम ख़राब करने वाले बिल्डर्स को सब बर्दाश्त कर गये।
ऐसे में कहा जा रहा है कि विमल चोपड़ा इन दिनों सफाई देते घूम रहे हैं कि उनका सेठ से कोई लेना-देना नहीं है लेकिन सच छुपने की चीज तो है नहीं।इसलिए लालबत्ती की होड़ में यदि सेठ को गाली भी देना पड़े तो क्या हुआ, राजनीति में सब जायज़ है।लेकिन सेठ ऐसे वैसे तो है नहीं, इसलिए लालबत्ती की राह का यह रोढ़ा हटाना आसान काम नहीं है।
बढ़िया
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