गुरुवार, 4 जुलाई 2024

बड़े नेताओं में गिनती की ख़ुशी…

 बड़े नेताओं में गिनती की ख़ुशी…


कभी कांग्रेज का बागडोर संभालने वाले धनेंद्र साहू का चुनाव हारना तो उसी दिन तय हो गया था जब उन्होंने अपने साथ हो रहे अन्याय पर चुप्पी तो ओड़े ही ली थी , चापलूसी तक करने लगे थे कि मंत्री बनने का मौक़ा तो मिल ही जाएगा।

शुक्ल बंधुओं की चरम राजनीति के दौरान ठेकेदारी करते करते विधायक से मंत्री तक के सफ़र में धनेंद्र साहू को सांसद बनने का मौक़ा भी मिला लेकिन कहा जाता है कि खड़ाऊ बनने की चर्चा ने उन्हें उनके हाथ से यह मौका भी दिन लिया।

राज्य बनने के साथ ही अपने ख़िलाफ़  होने वाले अन्याय पर उन्होंने तब चुप्पी ओर ली जब दिग्विजय सरकार में छत्तीसगढ़ के तेरह मंत्रियों में से अकेले धनेंद्र साहू को अजीत जोगी ने घर बिठा दिया था।

हसरे बाद कांग्रेस का बागडोर संभालने के मौक़े पर भी वे बड़े नेताओं के आगे पीछे ही घूमते रहे।

जिसका परिणाम यह हुआ कि भूपेश बघेल को भी उनको किनारे करने में हिचकिचाहट नहीं हुई। यानी भूपेश भी जान गये थे कि धनेन्द्र साहू किस तरह के नेता है। और जब इसके बाद भी धनेद्र साहू के मुँह में दही जमा रहा तो भला क्षेत्र की जनता क्यों पीछे हटती। अब कांग्रेस के लेटर बम से यह कहकर धनेंद्र साहू खुश हो सकते हैं कि - बड़े बड़े नेताकों में उनकी भी गिनती की गई है।

इधर कथित लेटर बम ने धनेंद्र साहू की पोल तो खोल ही दी है , कहा जाता है कि आने वाले दिनों में धनेंद्र के लिए और बड़ी मुश्किल खड़ी कर दी है, समाज वाले तो पहले ही नापसंद करते रहे हैं अब उनके इलाक़े के कांग्रेसी भी खुलकर आ गये हैं।

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