ये कौन आ गया…
स्वतंत्रता दिवस पर मोदी सरकार के ऑरवेलियन पोस्टर में गांधी, सुभाष और भगत सिंह से बड़ा सावरकर को बड़ा दिखाने का मतलब क्या सिर्फ़ संघी कुंठा है या फिर रेज़िम से लड़ना सीखा रहे राहुल गांधी से डरी सत्ता है, तय लोगो को करना है, राम मंदिर की पूजा कर चार सौ पार का दंभ भरने वाली सत्ता जब २४० पर अटक गई तो भी वह नहीं समझ रहा है कि आप कितनी भी होशियारी कर लो प्रकृति के न्याय से बच नहीं सकते…
स्वतंत्रता दिवस पर मोदी सत्ता की पोस्टर पर चर्चा करने से पहले हम याद दिलाना चाहते हैं कि जिस दिन राममंदिर का कार्यक्रम हो रहा था 22 जनवरी को उस दिन तो ये माहौल था कि विपक्ष को एक भी सीट नहीं आयेगी ऐसा अंधी फौज वातावरण बना रहीं थी पर अब तो ये हालत हैं कि चुनाव आयोग की बेईमानी नहीं होती तो सत्तापक्ष 150 पर सिमट जाता। पर परिवर्तन आया राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा से। लोगो ने फिर से कांग्रेस को नोटिस करना शुरू कर दिया। अब राहुल गांधी फिर से आंध्र प्रदेश वाली स्टाईल में लगे हैं और चुनाव आयोग से दो दो हाथ कर रहे हैं तो अब एक काम और होगा कि लोगो की चर्चा में अब ये बात आ जायेगी कि मोदी का विकल्प राहुल गांधी ही हैं। वास्तव में भारत को बहुत दिनो बाद कोई मिला हैं जो रेजिम से लड़ना सीखा रहा सबको। दुसरा गांधी आ गया हैं और आज के युवा का ओर हम सबका ये सौभाग्य हैं कि फिर से रेजिम को घुटने टेकते हम लोग देखेंगे । क्योकिं उस गांधी के सामने रेजिम झुका था ये हम देखे नहीं थे परंतु तरीका वहीं लेकर दुसरा गांधी आज रेजिम को झुका रहा है तो इतिहास की ये पुनरावृत्ती आनंददायक हैं और लगता हैं नियती हमारी कल्पना से बाहर आगे बढ़ गई हैं।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर वो सवाल जो केंचुआ कल की प्रेस कांफ्रेंस में पूछे गए लेकिन जिनका कोई सीधा जवाब नहीं मिल पाया :
* राहुल गांधी से एफिडेविट मांगा तो अनुराग ठाकुर से क्यों नहीं?
* समाजवादी पार्टी ने जो एफिडेविट दिया था उसकी जांच क्यों नहीं?
* वोटर लिस्ट डिफेक्टिव थी तो क्या पुराने चुनाव में घपला था?
* SIR से पहले पार्टियों से राय मशविरा क्यों नहीं हुआ?
* चुनाव वाले साल में इंटेंसिव रिवीजन ना करने की स्थापित मर्यादा क्यों तोड़ी गई?
* इतनी हड़बड़ी में बारिश बाढ़ के बीच SIR क्यों?
* कितने लोगों ने फॉर्म के साथ कोई दस्तावेज नहीं जमा करवाया ?
* BLO ने कितने फॉर्म को “नोट रिकमेंडेड” श्रेणी में डाला? किस आधार पर?
* बिहार में SIR के दौरान जून-जुलाई के बीच कितने नाम जोड़े गए?
* SIR के ज़रिए पुरानी वोटर लिस्ट में कितने विदेशी घुसपैठिए निकले?
लेकिन यदि मक्कारी हो तो जवाब सन्नाटा ही रहेगा।
ख़ैर आज बात उस कुंठा की…
स्वतंत्रता दिवस पर मोदी सरकार के 'ऑरवेलियन' पोस्टर में गांधी और सुभाष चंद्र बोस,भगत सिंह से ऊपर सावरकर को दिखाया गया, जिसकी जितनी भी निंदा की जाए कम है। जिस महात्मा गांधी को पूरी दुनिया पूजती है, मार्टिन लूथर किंग जू. से लेकर नेल्सन मंडेला तक।
बराक ओबामा जब राष्ट्रपति थे तो उनसे एक विद्यालय में स्टूडेंट द्वारा पूछा गया था कि:
जीवित या दिवंगत में से,यदि मौका मिले तो किसके साथ आप डिनर लेना चाहेंगे? उन्होंने तुरंत कहा " महात्मा गांधी "
महात्मा गांधी के हत्यारे गोडसे, षड्यंत्रकर्ता सावरकर जो इन संघियों, भाजपाइयों, के आदर्श हैं, के द्वारा इस महान सपूत की हत्या की गई, क्या यह भारतीय संस्कृति के सहिष्णुता पर कलंक नही है...??
फोटो और दुस्साहस देखिए, आखि़र कितने निर्लज्ज एवं गद्दार हैं ये संघी, भाजपाई...!!
कौन है यह सावरकर....??
जिन्ना के मुस्लिम लीग से 3 वर्ष पूर्व ही सावरकर ने हिन्दू राष्ट्र की मांग कर दी थी...
उन्होंने 1943 को लिखा कि " मि. जिन्ना के " दो राष्ट्र " सिद्धांत से मेरा कोई झगड़ा नही है, हम हिंदू अपने आप में राष्ट्र हैं, और यह ऐतिहासिक तथ्य है कि हिंदू और मुस्लिम दो अलग राष्ट्र है "
ये वही सावरकर है जिन्होंने " द इंडियन वार ऑफ इंडिपेंडेंस -1857 " लिखी थी। साथ ही यह वही सावरकर हैं जिन्होंने लिखा है कि: यह राष्ट्र उन्हीं का है जिसका यह पितृभूमि है, पुण्यभूमि है, अर्थात इनकी माने तो मुस्लिम और पारसी , ईसाई को बाहरी मानतें हैं ...
जेल में जीवन गुजारे किन्तु अंत मे अंग्रेजों के प्रति ईमानदार स्वामी भक्ति का माफीनामा भी लिखे। एवं अंग्रेजों से पेंसन लेते रहे...
" 1942 के " अंग्रेजों भारत छोड़ो " आंदोलन का विरोध करते हुए अपने संगठन हिंदू महासभा द्वारा अंग्रेजों का साथ देने की घोषणा की..
अंग्रेजों का साथ देने के लिए नेताजी सुभाष चंद्र बोस के आजाद हिन्द फौज का विरोध किया, एवं आजाद हिन्द फौज के खिलाफ लड़ने के लिए जगह जगह जाकर युवाओं से अंग्रेजी सेना में भर्ती होने को कहा ....
क्या देश का इससे बड़ा भी कोई गद्दार हो सकता है....??
भक्तों को नही पता कि सावरकर नास्तिक था क्योंकि भक्तों के नजर में नास्तिक दुश्मन होते हैं ....
इसीलिए सावरकर ने हिन्दूधर्म में जिस गाय को पूज्यनीय माता का दर्जा दिया गया है, उसे काटने एवं गाय के गोश्त खाने की भी पैरोकारी की । साथ ही गाय के गोबर एवं मुत्र को गंदा कहकर निकृष्ट जानवर बताया है। सावरकर गाय को पूज्यनीय मानने से इंकार कर देते हैं । इसपर गाय, गोबर वाले संघी भक्त चुप रहते हैं ...
बहरहाल गांधी के हत्या के आरोप हिन्दू महासभा के इस नेता सावरकर पर भी लगता है , संलग्नता होने के बावजूद पर्याप्त सबूतों के अभाव में सावरकर को बरी कर दिया जाता है । ये भी एक रहस्य है...
इनके द्वी राष्ट्र सिद्धांत पर भारत और पाकिस्तान नाम से दो राष्ट्र हो चुका है । इनके विचारों को मानने वालों की केन्द्र में सरकार है जो इन्हें भारत रत्न देने पर विचार कर रही हैं...(साभार)
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