सगाई का खर्चा सरकारी खजाने से...
आठ हजार रुपये प्रति प्लेट का खाना खिलाया..
ऐसा पहली बार नहीं हुआ जब संघ और भाजपा के संस्कारितों ने सरकारी खजाने पर लूट मचाई हो। सांस्कृतिक राष्ट्रवाद - धर्म - राजनैतिक सुचिता नैतिकता और बेहतर संस्कार । यही तो संघ का ध्येय वाक्य है।
लेकिन यह सब तभी तक है जब तक सत्ता न मिली हो, कुर्सी न मिली हो। और कुर्सी मिलते ही पैसों की भूख किसी आवारा पशु की तरह दिखः जाता है।
इलेक्ट्रान बॉण्ड, पीएम केचर फंड, नोट बंदी और उद्योगपतियों के कर्ज माफ करने या राईट ऑफ़ करने के नाम पर वसूली का खेल किस तरह खेला गया यह किसी से छिपा नहीं है।
तब जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिंहा ने यदि बेटे की सगाई का खर्चा जम्मू कश्मीर के खजाने से भर दिया तो फिर उनकी राष्ट्रवादिता पर सवाल क्यों ।
दरअसल इसकी शिकायत अब पीएमओ में की गई है कि मनोज सिंहा ने अपने बेटे की सगाई दिल्ली में की है। इस सगाई समारोह में सौ से अधिक वीआईपी मेहमान थे। जिसका केटरिंग का बिल क़रीब ग्यारह लाख रुपये आया। यानी लगभग आठ हजार रुपये प्लेट। ये बिल जम्मू कश्मीर सरकार से भरवा दिया गया।
पीएमओ से की गई शिकायत में वैसे तो कई तरह की शिकायत है लेकिन गाजीपुर से सांसद रहे मनोज सिंहा के बारे में कहा जाता है कि वे छात्र जीवन से ही संघ और भाजपा का संस्कार लेते रहे हैं, और इसके परिणाम स्वरूप वे केद्र मैं मंत्री भी रहे तो उन्हें जम्मू कश्मीर का उपराज्यपाल की बनाया गया ।
सवाल कई है ख़ासकर धर्म का चश्मा पहनाकर लूट मचाने का लेकिन सवाल पूछने वाले को यदि देश द्रोही का तमगा मिलने लगे तो...।
आप तय कीजिए कि धर्म का आड़ में किस तरह का खेल चल रहा है और कैसे संस्कार मिला या सिखाया गया है।
द वायर की रिपोर्ट के अनुसार अब्दुल्ला ने कहा, "चाहे उनके लिए खरीदे गए वाहन हों, किराए पर लिए गए निजी जेट हों या उनके मेहमानों पर खर्च किए गए करोड़ों रुपये हों, एलजी जम्मू-कश्मीर को अपनी निजी जागीर समझते हैं, जो इस बात से स्पष्ट है कि कैसे यातायात को 25-30 मिनट तक रोक दिया जाता है ताकि वह बिना देरी के यात्रा कर सकें।"
एलजी के तत्कालीन प्रधान सचिव नीतीश्वर कुमार को संबोधित और सोशल मीडिया पर व्यापक रूप से साझा किए गए 6 अप्रैल, 2021 के एक कथित आधिकारिक संचार के अनुसार, नई दिल्ली में जम्मू और कश्मीर के रेजिडेंट कमिश्नर ने एलजी सिन्हा के कार्यालय के निर्देशों का पालन करते हुए 2 फरवरी, 2021 को 7 अकबर रोड पर दोपहर के भोजन, रात के खाने और सजावट की व्यवस्था की थी।
पत्र में कहा गया है, "इस निजी समारोह के लिए हमारे कार्यालय द्वारा कुल 10,71,605 रुपये का भुगतान किया गया। हम अनुरोध करते हैं कि इस मुद्दे को हल करने के लिए यह राशि राजकोष में जमा कर दी जाए।"
जम्मू-कश्मीर के पूर्व कानून सचिव अशरफ मीर ने इसकी आलोचना करते हुए इसे केंद्र शासित प्रदेश के प्रमुख द्वारा घोर उल्लंघन और सार्वजनिक धन के दुरुपयोग का स्पष्ट मामला बताया है।
मीर ने द वायर को बताया, "चूंकि जम्मू-कश्मीर एक केंद्र शासित प्रदेश है, इसलिए भारत की समेकित निधि से धन को संसद द्वारा अनुमोदित किया जाना चाहिए और राज्य कल्याण या सार्वजनिक हित के उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल किया जाना चाहिए। व्यक्तिगत कार्य इस श्रेणी में नहीं आते हैं।"
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