पैसा दो-काम लो
कृषि विभाग में खुले आम चल रहे चालीस फीसदी कमीशन की अपनी कहानी है तो कृषि मंत्री रामविचार नेताम की अपनी कहानी है। कहा जाता है कि यहां सब कुछ तय न रामविचार करते हैं और न ही मुख्यमंत्री की ही इस विभाग में चलती है।
चलती किसी की है तो राकेश अग्रवाल की या फिर भुवनेश यादव की। राकेश और भुवनेश का क्या क़िस्सा है यह भी चर्चा में है। और इनकी चलेगी भी क्यों नहीं, क्योंकि कृषि मंत्री ने सारी जिम्मेदारी राकेश को सौप दी है। राकेश और भुवनेश यादव की जोड़ी ने ऐसे ऐसे कमाल शुरु कर दिया है कि कोई भरोसा भी नहीं कोगा कि छत्तीसगढ़ जैसे राज्य में डंके की चोट पर कोई सरकार को ही नहीं आम किसानों को करोड़ों का चूना लगा रहा है।
कहा तो यहां तक जाता है कि रामविचार नेताम जरूरत पड़ने पर राकेश की गाड़ी का इस्तेमाल ही नहीं अफिस का भी इस्तेमाल कर लेते हैं। और आफिस का इस्तेमाल को लेकर जो चर्चा है वह भी कम चौकाने वाला नहीं है।
राम विचार नेताम के नाम पर तो रमन सिंह के भी धोखा खाने की चर्चा कम नहीं है। नाम बड़े और दर्शन छोटे की कहावत तो चरितार्थ है ही अंधा बोटे रेवड़ी अपन - अपन को दे का भी क़िस्सा कृषि विभाग के गलियारे से होते हुए एश्वर्या से लकेर अब शहर के चौराहो पर भी सुनाई देने लगा है।
ऐसा रहीं है कि रामविचार पर इस तरह के आरोप पहली बार लग रहे हो या राकेश के खेल की चर्चा पहली बार ही रही हो। रामविचार ने तो तब भी रमन सिंह, अमर अग्रवाल, बृजमोहन अग्रवाल से बाजी मार ली थी जब इंदिरा प्रियदर्शनी बैंक घोराले के नार्को टेस्ट की कथित सीडी वायरल हुई थी।
लेकिन सैंया भये कोतवाल तो डर काहे की तर्ज पर राकेश और भुवनेश का कमाल से लोग ज़रूर चौंक जाते हैं।
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