जहां हर घोटाला डायनासोर …
मोदी सरकार का ग़ज़ब दौर है , धर्म की पट्टी बांध जिस तरह से उद्योगपतियों को इस दौर में मदद की गई उसकी परतें खुलने के बाद भी बेशर्मी जारी है, ताज़ा मामला अंबानी का है.. इसे कुछ यूँ समझे…
देश के उद्योगपति अनिल अंबानी के फ्रॉड को लेकर जो चर्चा है यह सिर्फ एक मामला नहीं है —
यह पूरी व्यवस्था की कॉर्पोरेट के चरणों में पड़ी लाश है।
सिर्फ ₹455 करोड़ देकर
अनिल अंबानी का ₹49,000,00,00,000 का लोन सेटल कर दिया गया।
(इसे पढ़िए और महसूस कीजिए — 49,000 करोड़)
उसके बाद SBI ने वही लोन “फ्रॉड” घोषित कर दिया।
मतलब?
पहले माफ करो,
फिर फ्रॉड बताओ,
फिर भूल जाओ।
यह एक दिन की गलती नहीं —
यह “जुरासिक पार्क” है —
जहां हर घोटाला एक डायनासोर है,
जिसे पालनेवाले उन्हीं के गार्डन में बैठकर चाय पी रहे हैं।
कोई विपक्ष भुनभुना भी नहीं रहा।
कोई न्यूज़ एंकर ‘ब्लैक बोर्ड’ पर नहीं चिल्ला रहा।
कोई स्टूडियो में #FraudAlert नहीं चला रहा।
क्यों?
क्योंकि लूट "क्लासीफाइड" है
और लुटेरे "क्रोनिक कैप्टन" हैं।
आइए समझें कैसे हुआ ये चमत्कार:
1. अनिल अंबानी की रिलायंस कम्युनिकेशन ने कई सरकारी बैंकों से लोन लिया —
कुल ₹49,000 करोड़ का।
2. उसके बाद कंपनी डिफॉल्ट कर गई।
3. सरकार की ‘क्लीनअप’ पॉलिसी के तहत
₹455 करोड़ में One Time Settlement (OTS) मंज़ूर कर दी गई।
4. और फिर उसी साल
SBI ने इस लोन को “Fraud” घोषित कर दिया।
तो सवाल यह है:
अगर ये फ्रॉड था, तो सेटलमेंट वैध कैसे?
और अगर सेटलमेंट वैध थी, तो अब फ्रॉड कैसे?
यह गणित नहीं,
यह राजनीति में छिपा अर्थशास्त्र है।
तुलना कीजिए:
आम आदमी के ₹10,000 के लोन पर EMI चूकी, तो:
कॉल सेंटर से धमकी
सिविल स्कोर तबाह
केस दर्ज
अपमान
लेकिन अनिल अंबानी ने ₹49,000,00,00,000 का लोन डुबाया —
और बदले में मिली:
सेटलमेंट छूट
फ्रॉड का सम्मान
यह अकेली घटना नहीं:
मेहुल चोकसी: ₹13,500 करोड़
निरव मोदी: ₹11,400 करोड़
विजय माल्या: ₹9,000 करोड़
IL&FS: ₹94,000 करोड़
DHFL: ₹31,000 करोड़
ESSAR-Rosneft डील में टैक्स चोरी: ₹20,000 करोड़+
इनमें से किसी को जनता का “गुनहगार” नहीं कहा गया।
बल्कि कहा गया — “बिजनसमैन रिस्क लेता है”।
अब क्या करें?
आपका पेट्रोल ₹100+
आपकी दाल ₹160+
आपकी EMI डिफॉल्ट
आपका PF कटा
आपकी शिक्षा GST में
और आपकी ग़रीबी का हल है — 'प्लेटफ़ॉर्म पर झाड़ू लगाओ' योजना।
जबकि...
अंबानी को फ्रॉड की छूट,
और मीडिया को मौन का इनाम।
अंतिम बात:
यह लेख कोई नारेबाज़ी नहीं।
यह 49,000 करोड़ की वो तारीख़ है
जिस दिन लोकतंत्र की रीढ़ को फोड़ा गया
बिना एक गोली, बिना एक क्रांति
बस एक दस्तख़त से।
जिस दिन पूरा देश
₹49,000,00,00,000 → ₹455,00,00,000
हो गया — और कोई रोया तक नहीं।(साभार)