शुक्रवार, 20 मार्च 2020

भाजपा प्रवेश के फायदे...

भाजपा
कमल के भाजपा प्रवेश की खबर उस दिन अखबार की सुर्खियां बंटोर रही थी, जो भी सुनता हतप्रभ रह जाता। आश्चर्य में तो उसके मित्र केवल कृष्ण भी था। अखबार पढ़ते ही उसकी बेचैनी बढ़ गई थी, ठीक है कमल को आजकल उसकी पार्टी तवज्जों नहीं दे रही थी लेकिन पार्टी ने उसे क्या कुछ नहीं दिया था। यहां तक की कमल की पहचान ही इसी पार्टी से थी। और फिर उसने चुनाव में पूरी भाजपा के खिलाफ विषवमन भी किया था। भाजपा के खिलाफ उसके तीखे तेवर से पार्टी के कई नेता असहज भी हो जाते थे यही वजह है कि उसके भाजपा प्रवेश ने पूरे क्षेत्र को हैरानी में डाल दिया था। हैरान तो केवल कृष्ण भी था यही वजह है कि वह जल्द से जल्द कमल से मिलकर अपनी बेचैनी और जिज्ञासा दूर कर लेना चाहता था।
वह जल्दी से तैयार भी हुआ लेकिन पता चला कि कमल तो दिल्ली में है और एक दो दिन बाद ही लौटेगा। उसने उसे फोन लगाया लेकिन फोन किसी अन्य ने उठाया और बताया कि वे पार्टी प्रमुख के साथ बैठक कर रहे हैं। दो दिन बाद भी मौसम का तेवर वही था, मार्च-अप्रैल के महीने में भी धूप अपने तेज पर था। और केवल कृष्ण की जिज्ञासा थी या मौसम सचमुच गर्म था कहना मुश्किल है लेकिन प्रदेश की राजनैतिक फिजा का मिजाज बेहद गर्म था। शहर कमल के स्वागत में सज चुका था, कल तक जो लोग कमल के मुर्दाबाद के नारे लगाते थे वे आज जिंदाबाद के नारे लागने की होड़ में थे। 
केवल कृष्ण को तो कमल के इस बात पर हैरानी हो रही थी कि उपेक्षा के कारण ही उसने भाजपा प्रवेश किया है। वह समझ नहीं पा रहा था कि 15 दिन पहले तक मोदी सरकार की नीतियों ही नहीं खुद प्रधानमंत्री मोदी के स्टाईल का उपहास उड़ाने वाला कमल को अचानक क्या हो गया कि वह देश का भविष्य उनके हाथों में सुरक्षित जैसी बात कहने लगा।
खैर, मौसम ने मिजाज बदला, दिन की तेज धूप के बनी स्थिति शाम होते हवा ठंडी होने लगी और बूंदा-बांदी भी, होली का उत्साह अब भी आम लोगों में था, सड़क पर पी खाकर लुढ़कने वाले अपने में व्यस्त थे, फिर आम स्वागत सत्कार में भीड़ जुटाने वालों ने भी खूब दिल खोलकर खर्च किया था। जैसे-तैसे केवल कृष्ण जब कमल के घर पहुंचा तो भीड़ हटने लगी थी, और जब कमल भी सोने जाने का ईजाजत लेने लगा तो रात के बारह बज चुके थे लेकिन केवल कृष्ण अपनी जिज्ञासा को दूर करने इतना उतावला और बेचैन था कि उसने अकेले में बात करने की ईच्छा जता दी।
कमल बिल्कुल बड़े नेताओं की तरह केवल कृष्ण के कंधे पर हाथ रखकर उसे भीतर ले आया और मुस्कुराते हुए पूछा- कैसा रहा मेरा फैसला? 
केवल कृष्ण ने इतना ही कहा क्या भाजपा में तुम्हारी हैसियत वैसे ही रहेगी, क्या पार्टी प्रमुख से तुम्हे वैसा ही स्नेह मिलेगा, फिर दलबदल का दाग जो लगा है वह कैसे धुलेगा? पता नहीं केवल कृष्ण ने एक ही सांस में कितने सवाल कर बैठा।
लेकिन कमल भी कच्चा खिलाड़ी नहीं था, उसने केवल कृष्ण के कांधे को थपथपाते हुए हंसने लगा। केवल कृष्ण कुछ और सवाल करता इससे पहले कमल ने कहा सब बताऊंगा लेकिन चलो पहले कुछ खा लेते है। डायनिंग टेबल सज चुका था घर के लोगों के चेहरे में जो खुशी दिख रही थी  उससे स्पष्ट था कि नई पार्टी को लेकर उनके मन में कोई संशय नहीं है और वे कमल के निर्णय से खुश है। 
रोटी का टुकड़ा मुंह में डालते-डालते केवल कृष्ण ने जब कहा कि तुमने यह निर्णय सोच समझकर लिया है या भावावेश मेंं? कमल ने कहा सब सोच लिया है। भाजपा में जाने के फायदे बहुत थे और आज के दौर में यह जरूरी है। कमल यही नहीं रुका बल्कि बोलते चला जा रहा था, भाजपा में जाने का सबसे बड़ा फायदा तो यह है कि तुम्हारे राष्ट्रभक्ति पर कोई उंगली नहीं उठायेगा, दूसरा फायदा यह है कि अभी चार साल सत्ता का सुख मिलेगा तीसरा फायदा यह है कि आप हिन्दू हो जाओगे चौथा फायदा यह है कि आप आम लोगों की समस्या पर ध्यान नहीं दोगे तब भी आपकी निष्क्रियता पर कोई सवाल नहीं करेंगा और बगैर काम करे आप हिन्दू-मुस्लिम के सहारे चुनाव जीत जाओगे। वहां भी पार्टी प्रमुख को खुश रखना पड़ता था यहां भी पार्टी प्रमुख से संबंध बनाकर रखना पड़ेगा। कमल फायदा गिनाते जा रहा था और केवल कृष्ण अवाक होकर उसकी बात सुने जा रहा था। 
अचानक केवल ने कहा रात बहुत हो गई है वह चलता है। लेकिन कमल बोले जा रहा था। केवल चुपचाप उठकर बाहर निकल आया। सड़के सुनी थी, कहीं-कहीं पी-खाकर लुढ़कने वालों की टोली अपने में मशगुल थे और अंधेरा घना होता जा रहा था।