सोमवार, 15 मार्च 2010

निगम में पाप , बड़ा है अभिशाप

0 सांप और विप से चिंतित हैं लोग
एक तरफ देश के संसद और विधानसभा में महिला बिल को लेकर महिलाओं में जबरदस्त उत्साह है वहीं दूसरी ओर राजधानी सहित प्रदेश के स्थानीय निकायों में पाप ने डेरा जमा रखा है। आश्चर्य का विषय तो यह है कि जहां महापौर और अध्यक्ष के पदों पर महिलाएं बैठी है वहां भी पाप की ही दमदारी दिखती है। यही वजह है कि लोग सांप और विप को लेकर अभी से चिंता जताने लगे हैं।
छत्तीसगढ क़े स्थानीय निकायों में वैसे तो 50 फीसदी महिला आरक्षण है और इस क्षेत्र में कई महिलाओं ने अपनी दमदारी भी दिखाई है लेकिन राजधानी का नगर निगम पाप से ग्रसित है नेतागिरी की चाह में अपने परिवार की महिलाओं को टिकिट तो दिलवा देते हैं लेकिन पूरी नेतागिरी वे स्वयं करते हैं। यहां तक कि निगम की कई महत्वपूर्ण बैठकों में भी वे इसी हैसियत से हिस्सा भी लेते हैं।
बताया जाता है कि इन पाप को लेकर निगम में कई तरह की चर्चा रहती है और सबसे दुखद आश्चर्य का विषय तो यह है कि महिला बिल पर खुशी जाहिर करने वाली महापौर किरणमयी नायक भी ऐसे लोगों को ही महत्व देती है। यही हाल पूरे प्रदेश में है और ऐसे पाप से बचने के लिए अभी तक किसी भी महापौर या अध्यक्ष ने प्रभावी कदम नहीं उठाया है जबकि अधिकांश संस्थानों में इस बिल का समर्थन करने वाल भाजपा या कांग्रेस के लोग ही बैठे हैं। यही वजह है कि अब बिल के पास होने में किसी को संदेह नहीं है और वे अभी से सांप और विप की चर्चा करने लगे हैं। कहा जाता है कि इस मामले को लेकर वैसे तो कई तरह की चर्चा है लेकिन ऐसी चर्चा महिला जनप्रतिनिधियों के साथ-साथ इस महत्वपूर्ण बिल के लिए भी चुनौती है कि आखिर सांप (सांसद पति), विप (विधायक पति) और पाप (पार्षद पति) से कैसे बचा जाएगा।

पूर्व मंत्री पर आयकर की नजर...! धमतरी कलेक्टर से पूछताछ?

आईएएस अधिकारी बी.एल. अग्रवाल का मामला अभी थमा भी नहीं है कि भाजपा सरकार के एक पूर्व मंत्री एक वर्तमान मंत्री और दो आईएएस अधिकारी के खिलाफ आयकर विभागत ने जांच शुरु कर दी है कहा जा रहा है कि इस संबंध में किसी दक्षिण भारतीय अधिकारी के द्वारा धमतरी कलेक्टर पी. सुनीता से मुलाकात कर पूछताछ की चर्चा है।
उल्लेखनीय है कि राज्य बनने के बाद छत्तीसगढ में जिस तेजी से राजस्व बढ़ा है उसी तेजी से भ्रष्टाचार भी बढ़ा है और इस भाजपा सरकार के तो कई नेताओं और अधिकारियों पर खुलेआम भ्रष्टाचार के आरोप चौक-चौराहों पर सुने जा सकते हैं। यही वजह है कि कई लोगों ने आयकर विभाग से लेकर सीबीआई और लोकायुक्त को यहां के आधा दर्जन मंत्री और डेढ़ दर्जन से अधिक अधिकारियों के द्वारा बेहिसाब धन कमाने की शिकायत की है।
सूत्रों ने बताया कि पिछली सरकार में मंत्री रहे एक भाजपा नेता पर तो अपने विधानसभा व उससे लगे गांवों में बेहिसाब जमीन खरीदी का मामला उठने लगा है। बताया जाता है कि इस नेता द्वारा खरीदी गई जमीन के कागजात के साथ शिकायत की गई है। बताया जाता है कि इसी तरह एक वर्तमान मंत्री व उनके भाईयों द्वारा जमीन खरीदी-बिक्री के मामले की शिकायत आयकर विभाग से की गई है और इस दोनों ही मामले में गुप्त रुप से जांच किए जाने की खबर है। वैसे इस बात का खुलासा तभी हो गया जब पिछले दिनों आयकर विभाग के एक दक्षिण भारतीय अधिकारी ने अधिकारिक तौर पर धमतरी कलेक्टर से मुलाकात कर महत्वपूर्ण जानकारी ली। हालांकि इनकी मुलाकात का विस्तृत ब्यौरा नहीं मिल पाया है। लेकिन कहा जा रहा है कि इस अधिकारी की मुलाकात की वजह पूर्व मंत्री द्वारा खरीदी गई जमीन से संबंधित है। इधर धरसींवा सहित नई राजधानी व नगर निगम रायपुर से लगे क्षेत्रों में एक मंत्री व उसके परिवार द्वारा खरीदी जा रही बेनामी संपत्ति की भी जांच किए जाने की खबर है। बताया जाता है कि प्रदेश के कई अधिकारियों द्वारा दूसरे प्रदेशों में खरीदी गई संपत्ति की भी जांच चल रही है। बहरहाल पूर्व मंत्री के मामले में आयकर विभाग द्वारा की जा रही जांच को लेकर कहा जा रहा है कि कभी भी छापे की कार्रवाई का इंतजार है।

विजय बघेल का आदमी है कौन? क्या कर लेगा...

छत्तीसगढ में सरकार के संरक्षण में जिस तरह की लूट-खसोट मची है वह आश्चर्यजनक है। संसदीय सचिव के खास माने जाने वाले झीट पचायत के सरपंच गायत्री बाई चंदेल पति हरप्रसाद चंदेल ने तो सारी हदें पार कर दी और वह कारनामा कर डाला जिसे सुनकर सरकार की नीयत पर प्रश्न चिन्ह लगना स्वाभाविक है। इतना ही नहीं काले कारनामें सामने आने के बाद भी इनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है।
मामला पाटन विधानसभा क्षेत्र के ग्राम पंचायत झीट का है यहां जनवरी में चुनाव हुआ और पवन ठाकुर सरपंच बना है। चुनाव के बाद जब पूर्व सरपंच द्वारा स्कूल निर्माण के लिए आए लोहे के छड़ को बेचने ले जाया जा रहा था तब सरपंच व ग्राम वालों ने मोतीपुर में जाकर मेटाडोर सहित छड़ को जब्त किया और इसकी शिकायत सब इंजीनियर से की गई।
बताया जाता है कि तब सब इंजीनियर ने सरपंच व गांव वालों को यह कह कर लौटा दिया कि वह संसदीय सचिव विजय बघेल का आदमी है मैं कुछ नहीं कर सकता कहकर लौटा दिया गया। बताया जाता है कि स्कूल के लिए 14 लाख रुपए स्वीकृत किए गए हैं और केवल 4 कमरे बने है व निर्माण अधूरा है। पैसों का पता नहीं है। जब गांव वालों ने इस मामले में गहराई से छानबीन की तब सनसनीखेज मामला सामने आया कि चुनाव के दो माह बाद पूर्व सरपंच ने तीन मार्च को 45 हजार पांच सौ और 18 हजार 4 सौ रुपए पंचायत के अलग-अलग बैंक खातों से निकाल लिया है।
इसकी जानकारी होते ही गांव वालों ने वर्तमान सरपंच पवन ठाकुर के नेतृत्व में इसकी शिकायत सीईओ से की लेकिन जांच का आश्वासन ही दिया गया। बताया जाता है कि गायत्री देवी के कार्यकाल में भारी घपला हुआ है और यह सभी घपले अधिकारियों को पता भी है लेकिन संसदीय सचिव विजय बघेल के करीबी होने के कारण इनके घपलों पर लीपापोती की गई।बहरहाल संसदीय सचिव विजय बघेल के करीबियों के कारनामें की यहां जमकर चर्चा है और दो-पांच हजार में खुश हो जाने की चर्चा तो पूरे पाटन क्षेत्र में है ऐसे में इस मामले का क्या होगा सबकी नजर है।

वादे से सरकार मुकरी,किसानों ने दी घुड़की

प्रदेशभर के अन्नदाता 18 मार्च को न केवल राजधानी आएंगे बल्कि सरकार के वादा खिलाफ के खिलाफ विधानसभा घेरेंगे। वहीं आंदोलन को कुचलने सरकारी स्तर पर भी षड़यंत्र की चर्चा है।
छत्तीसगढ क़े किसान इन दिनों सरकार के रवैये से त्रस्त हैं। उद्योगों और भवनों के लिए कृषि जमीन छीनी जा रही है तो दूसरी तरफ बोनस के नाम पर किसानों को छला जा रहा है। ज्ञात हो कि भारतीय जनता पार्टी ने चुनाव से पहले किसानों को 270 रुपए बोनस देने की घोषणा की थी लेकिन सत्ता में आते ही वह अपने संकल्प को भूल गई। किसानों ने पिछली बार आंदोलन किया तो 50 रुपए बोनस देने की घोषणा की लेकिन बजट में 270 रुपए बोनस का कोई प्रावधान नहीं रखा।
इसी से आक्रोशित प्रदेशभर के किसानों ने 18 मार्च को विधानसभा घेरने की धमकी दी है। इसके अलावा उसने हड़ताल करने की धमकी तक दे दी है। यानी खेती किसानी नहीं करने की धमकी देश के इतिहास का अपने तरह का अनोखा निर्णय होगा। प्रेस क्लब में आयोजित पत्रकारवार्ता में वीरेन्द्र पाण्डे, जागेश्वर साहू, पारसनाथ साहू, दिनदयाल वर्मा जैसे दिग्गज किसान नेताओं ने सरकार के खिलाफ जमकर विषवमन किया उन्होंने तो ठाकुर को ही ललकार दिया कि छत्तीसगढ में तो नाउ ठाकुर तक अपने वचन से नहीं मुकरते पता नहीं ये कैसे ठाकुर हैं। दरअसल किसानों के गुस्से की वजह सरकार की नीति है जिसके चलते किसानों की माली हालत दिनों दिन बदतर होते जा रही है और इसी का फायदा उठाते हुए 270 रुपए क्विटंल बोनस देने के लुभावने नारे के साथ भाजपा चुनाव में उतरी थी। किसानों ने कहा कि यदि सरकार ने अपने वादे पूरे नहीं किए तो ईंट से ईंट बजा देंगे और सरकार को चैन से काम करने नहीं देंगे।
छत्तीसगढ में जोत का रकबा कम होता जा रहा है शहरों के आसपास की जमीनों को अधिग्रहित किया जा रहा है नई राजधानी के नाम पर खेती की जमीनें छीनी जा रही है। तो कालोनी बनाने जमीन छीनी जा रही है। उद्योगों के नाम पर भी हजारों एकड़ जमीन बर्बाद किया जा रहा है ऐसे मे किसानों की माली हालत पर गौर नहीं किया गया तो आने वाले दिनों में किसानों को आत्महत्या के लिए मजबूर होना पड़ सकता है। इधर किसान नेताओं ने खुलकर कहा कि विधानसभा घेरने की चेतावनी पर भी सरकार नहीं मानी तो वे खेती किसानी बंद करने तक का निर्णय ले सकते हैं। इधर आंदोलन को कुचलने की रणनीति भी बनाए जाने की चर्चा है कहा जा रहा है कि किसान आंदोलन को कुचलने कई तरह के कार्यक्रमों के अलावा ट्रांसपोर्टरों पर भी दबाव डाला जा रहा है कि वे अपनी वाहन किराए से न दे जबकि राजधानी की घेराबंदी भी जोरदार ढंग से की जा रही है।

सरकार में संविदा,घोटालेबाजों पर फिदा|दो दर्जन से अधिक भ्रष्ट व निकम्में अधिकारियों को संविदा नियुक्ति


यह तो भाजपा सरकार की कथनी और करनी का ही अंतर है वरना भय भूख और भ्रष्टाचार के खिलाफ नारा देने वाले भाजपाई सरकार में आते ही दो दर्जन से अधिक भ्रष्ट और निकम्में अधिकारियों को संविदा नियुक्ति नहीं देते।
छत्तीसगढ में रमन सरकार ने जिस तरह से रणनीति बनाई है उससे आने वाले दिनों में विकास कार्यों पर विपरित प्रभाव पड़ना तय है एक तरफ वोट बैंक की राजनीति के तहत बंदरबांट चल रही है तो दूसरी तरफ धन्ना सेठों और भाजपा प्रमुखों व उनके रिश्तेदारों को कौडियों के मोल सरकारी जमीन दी जा रही है। मामला इससे भी बढ़कर संविदा नियुक्ति का है। आकस्मिक नौकरी के नाम पर जिस तरह से सेवानिवृत्त या नौकरी छोड़ चुके अफसरों को सरकार ने नौकरी पर रखना शुरु किया है उससे एक तरफ छत्तीसगढ क़े होनहार युवाओं की नौकरी तो खतरें में पड़ ही गई है घोटालों की नई-नई कहानियां सामने आई है।
छत्तीसगढ में केवल सेवानिवृत्त हो चुके या ले चुके अधिकारियों कि संविदा नियुक्ति देने का मामला 5 दर्जन से अधिक है इसमें से दो दर्जन से अधिक अधिकारियों पर भ्रष्टाचार का आरोप भी लगा है भ्रष्ट अधिकारियों या निकम्मों को नौकरी देने की वजह आसानी से समझा जा सकता है। हमारे बेहद भरोसेमंद सूत्रों के मुताबिक ऐसे चोर अधिकारियों को संविदा नियुक्ति इसलिए दी जा रही है ताकि सरकार में बैठे लोग इनके भ्रष्टाचार के तरीकों का लाभ लेकर अपनी जेबें गरम कर सके। अमूमन सभी विभागों में इस तरह के लोगों का बोलबाला है और यहां भ्रष्टाचार की गंगा बहने लगी है।
छत्तीसगढ क़े विधानसभा तक में यह बात आ चुकी है कि संविदा नियुक्ति की वजह से भ्रष्टाचार में बढ़ोत्तरी हो रही है इसके बाद भी सरकार सेवानिवृत्त होने के बाद ऐसे भ्रष्ट व निकम्मों को नौकरी दे रही है। कभी लोक निर्माण विभाग के मंत्री बृजमोहन अग्रवाल पर भी डंडा भांज चुके जी.एस. बाम्बरा को तीसरी बार संविदा नियुक्ति दी जा रही है तो इसकी वजह सरकार ही जाने लेकिन बाम्बरा किस तरह के अफसर है उनका सर्विस बुक देखकर ही समझा जा सकता है। इसी तरह मुख्यमंत्री के खास माने जाने वाले आईएएस अमन सिंह ने भी अपनी नौकरी छोड़कर संविदा नियुक्ति पा रहे हैं। इसी तरह कई भ्रष्ट अफसरों के रिश्तेदारों को भी मनमाने तरीके से नौकरी दी गई।सूत्रों के मुताबिक सरकार में बैठे कई मंत्री व अधिकारियों ने ऐसे अफसरों पर कार्रवाई की बजाय उनसे धन उगाही में लगे हैं और यही वजह है कि छत्तीसगढ़ में करोड़ों रुपए इन्ही भ्रष्ट संविदा नियुक्ति वाले अफसरों पर खर्च किया जा रहा है। आश्चर्य का विषय तो यह है कि इस मामले में कांग्रेस ही नहीं छात्रों के हितैषी माने जाने वाले भी संगठन भी खामोशी से तमाशा देख रहे है जबकि ऐसी नियुक्ति की वजह से छत्तीसगढ क़े युवाओं को नौकरी नहीं मिल रही है। बहरहाल भ्रष्ट अधिकारियों को दी जा रही संविदा नियुक्ति से छत्तीसगढ में भ्रष्टाचार तो बढा ही है सरकारी खजानों से करोड़ों रुपए लूटने की कोशिशें भी जारी है।