सोमवार, 4 अक्तूबर 2010

जोगी का बयान भारी पड़ा कांग्रेस को...

भटगांव में भाजपा का कब्जा बरकरार
 भटगांव विधानसभा के उपचुनाव में प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री अजीत जोगी का बड़बोलापन कांग्रेस प्रत्याशी के लिए भारी पड़ा बताया जाता है कि श्री जोगी के 2010 में सरकार बनाने के दावा वाले बयान की वजह से कांग्रेस को करारी शिकस्त मिली।
भटगांव विधानसभा के उपचुनाव में वैसे तो भाजपा ने रजनी त्रिपाठी को उतारकर पहले ही सहानुभूति वोट की तैयारी कर ली थी लेकिन कांग्रेस में एकजुटता के चलते भाजपा खेमे में बैचेनी छा गई थी। हालांकि भाजपा के चुनाव प्रभारी ने अपने कांग्रेसी समर्थकों के सहारे जीत हासिल करने में कोई कसर बाकी नहीं रखा था और कांग्रेसी भीतरघात के चक्कर में लगे रहे। इसी बीच अजीत जोगी का सरकार बनाने का दावा संबंधी बयान ने रही सकी कसर भी पूरी कर ली और टक्कर दे रही कांग्रेस इस बयान के बाद कोसो पीछे चली गई।
जोगी के इस बयान की कांग्रेसियों में जबरदस्त चर्चा रही और कहा जाता है कि यह बयान भीतरघात से भी खतरनाक साबित हुआ। जबकि इस बयान की तुलना कांग्रेस नेता राजेन्द्र तिवारी के उस बयान से की जाने लगी थी जिसमें श्री तिवारी ने अटल बिहारी वाजपेयी के पिता का नाम पूछ लिया था और धनेन्द्र साहू को खड़ाउ बताया था। बहरहाल श्रीमती रजनी त्रिपाठी की जीत से जहां रमन सिंह मजबूत हुए हैं वहीं कांग्रेसी खेमें में मायूसी बढ़ गई है।

फैसला जो नहीं हो सका...!

 60 साल पुराने राम जन्म भूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर एक ऐसा फैसला आया जिसकी उम्मीद कतई नहीं की गई थी। लेकिन जिस तरह से आजादी के लिए बंटवारा स्वीकार किया गया उसी तरह अमन के लिए भी बंटवारा स्वीकार किया गया। तथ्य अब भी चिख रहे हैं। गवाहों के मुंह पर ताला जड़ दिया गया और तीनों पक्षकारों को विवादित जमीन बांट दी गई।
आम तौर पर जमीन विवाद पर जब भी फैसला हुआ है तब जमीन एक पक्ष को ही गया है। भाई बंटवारे को छोड़ दें तो यह फैसला न्यायालयीन इतिहास में नई ईबादत के साथ पढ़ी जाएगी। हालांकि अब भी दो पक्ष इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अर्जी लगाने आतुर हैं और नैसर्गिक न्याय तार-तार होता दिख रहा है। दरअसल राम जन्म भूमि-बाबरी मस्जिद विवाद का जिस तरह से भाजपा ने राजनैतिक फायदे के लिए इसका इस्तेमाल किया उसके बाद तो इस विवाद को लेकर आम लोगों में चिढ़ सी हो गई थी। सभी चाहते थे जैसा भी हो, जो भी हो इसका निपटारा हो जाए। जज की कुर्सी पर बैठे तीनों लोग भी आम लोगों की भावना को समझ रहे थे और देश हित की जिम्मेदारी भी उन पर यादा हावी रही तभी तो ऐसा फैसला आया जो वास्तव में न्याय की नई ईबादत के रुप में हमेशा पढ़ी जाएगी।
ऐसा नहीं है कि सिर्फ बंटवारे का निर्णय हुआ है। दो मजहबों में बढ रही दूरियों को भी कम करने का इस निर्णय ने हिन्दुस्तान को एक मजबूत राष्ट्र के रुप में स्थापित करने की चेष्टा भी की है। मेरी इस बात से कई लोग असहमत भी हो सकते हैं लेकिन जब भी ऐसे विवाद हो उसे तूल देने की बजाय सरकार को आगे बढ़कर फैसले लेने चाहिए। मुगल सल्तनत और अंग्रेजों की गुलामी ने इस देश को कई हिस्सों में बांट दिया है। धर्म-जाति की लड़ाईयों ने भले ही कुछ राजनैतिक दलों को लाभ पहुंचाया हो लेकिन यह सब तत्कालीन रहा है। दूरगामी तो सिर्फ नुकसान ही हुआ है।
धर्म और जाति के झगड़ों से अब भी रोज लोग मर रहे हैं और सिर्फ लोग नहीं मरते हैं परिवार समाज और राष्ट्र मरता है। यही हुआ है। इस लड़ाई के जिम्मेदार वे नेता है जिन पर देश में सुकून-अमन कायम करने की जिम्मेदारी है। अयोध्या से इस देश को या भाजपा को या सुन्नी बोर्ड को क्या मिला यह तो वही जाने लेकिन इस झगड़े ने क्या खोया यह सबके सामने हैं। इलाहाबाद के लखनऊ बेंच का फैसला नि:संदेह स्वागत योग्य है और इस फैसले के परिपेक्ष्य में धर्म को लेकर विवादित सभी जमीनें मामले खत्म कर देने चाहिए और जो लोग इस फैसले को नहीं मानते उस विवादित जगह को सरकार को अधिग्रहण कर स्कूल-अस्पताल बना देना चाहिए।
ये दो स्थल ऐसे हैं जहां हर धर्म के लोग एक साथ बैठते हैं अपनी तकलीफें बांटते हैं। ताकि फिर कोई भाजपा या सुन्नी बोर्ड इस देश के लोगों को मरवाने की कोशिश न करे। अयोध्या का फैसला राम-रहिम की मर्जी से हुआ है वे भी चाहते हैं कि धर्म की लड़ाई बंद हो जाए और इसलिए देश के दूसरे हिस्सों का विवाद भी ऐसा ही सुलझ जाए क्योंकि बगैर उनकी मर्जी का पत्ता भी नहीं खड़कता।

दिशा कॉलेज को बचाने का मतलब...

बच्चों से भरी बस पलटी, कई बस कंडम
पिछले दिनों जेल रोड में दिशा कॉलेज की बस पलट गई। हालांकि इस घटना से सवार छात्रों को यादा चोटें नहीं आई लेकिन प्रशासन ने इस मामले के रफा-दफा में जिस तरह की तेजी दिखाई है वह कई संदेहों को जन्म देता है।

घटना की वजह बस का पट्टा टूट जाना है। ऐसे में कॉलेज प्रबंधन के खिलाफ कार्रवाई की बजाय बस चालक के खिलाफ ही मामूली धारा लगा दी गई। वास्तव में इस मामले में बस चालक से यादा दोषी कॉलेज प्रबंधक है क्योंकि बस पलटने की वजह बस का कंडम होना है। हमारे बेहद भरोसेमंद सूत्रों के मुताबिक दिशा कॉलेज की कई बसें बेहद पुरानी है और रंग रोगन कर इसे चलाया जा रहा है। लगता है प्रशासन को किसी बड़ी घटना का इंतजार है।