शुक्रवार, 27 सितंबर 2013

राजधानी की चारों सीट में उथल-पुथल मचाएगा स्वाभिमान मंच


(विशेष प्रतिनधि)
रायपुर। भाजपा की सत्ता सफर में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले राजधानी के चारों विधानसभा में इस बार भाजपा की राह आसान नहीं है, तो कांग्रेस के लिए भी जीत की राह कठिन होने लगी है। स्वाभिमान मंच के द्वारा चारों सीट पर दमदार प्रत्याशी उतारे जाने की चर्चा ने कांग्रेस ही नहीं भाजपा को भी भीतर तक हिला दिया है।
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर को वैसे तो भाजपा का गढ़ माना जाता है। वर्तमान में यहां भाजपा के पास तीन विधायक और कांग्रेस के पास एक विधायक है। भाजपा के तीन में से दो विधायक प्रदेश सरकार में मंत्री भी है, लेकिन दोनों में चल रही खींच-तान का असर संगठन में साफ देखा जा सकता है।
राजधानी के दमदार माने जाने वाले विधायक बृजमोहन अग्रवाल और राजेश मूणत ने पिछला चुनाव लगभग 20 हजार से अधिक वोटों से जीता था। जबकि भाजपा के ही नंदकुमार साहू और कांग्रेस के कुलदीप जुनेजा ने दो-ढाई हजार से जीत हासिल की थी।
राजनैतिक सूत्रों की माने तो प्रदेश सरकार के ये दोनों मंत्री अग्रवाल और मूणत के बीच जबरदस्त होड़ मची है और दोनों के बीच लड़ाई भी खुलकर सामने आ चुकी है। ऐसे में वर्चस्व की लड़ाई को लेकर एक-दूसरे के खिलाफ अंदरुनी रणनीति के चलते दोनों की जीत को लेकर कई तरह के सवाल अभी से उठने लगे हैं। जबकि इंदिरा बैंक घोटाले के नार्को सीडी में दोनों मंत्रियों द्वारा एक-एक करोड़ रुपये की रिश्वत लेने का मामला भी चर्चा में है।
इधर कांग्रेस इस बार राजधानी के चारों सीटों पर कब्जा जमाने कोई कसर नहीं छोडऩा चाहती है। इसलिए वह न केवल दोनों मंत्रियों को नार्को टेस्ट की सीडी बांट रहा है, बल्कि सरकार के भ्रष्टाचार और नाकामी को उजागर करने में लगा है।
सूत्रों की माने तो टिकट को लेकर उठा-पटक के बीच जहां कुलदीप जुनेja और ग्रामीण से सत्यनारायण शर्मा की टिकट फाइनल हो चुकी है, जबकि दक्षिण से संतोष दुबे और किरणमयी नायक तथा पश्चिम से मोतीलाल साहू, प्रमोद दुबे और सुभाष धुप्पड़ में तय होना है।
प्रदेश सरकार में व्याप्त भारी भ्रष्टाचार और भाई-भतीजा वाद के चलते महापौर चुनाव में बाजी मारने में सफल कांग्रेस एक बार फिर अपनी जीत को लेकर उत्साहित है, तो वहीं पहली बार चुनाव मैदान में उतर रही स्वाभिमान मंच को दमदार प्रत्याशी की तलाश है।
सूत्रों की माने तो स्वाभिमान मंच ने प्रत्याशियों की तलाश कर ली है और कांग्रेस-भाजपा के दमदार बागियों को वह अपना प्रत्याशी बनाएगी। स्वाभिमान मंच के प्रवक्ता महेश देवांगन के मुताबिक उनका मंच इस बार राजधानी में खाता अवश्य खोलेगा और उनकी कई कांग्रेसी और भाजपाई  असंतुष्टों से चर्चा भी हो चुकी है।
राजनैतिक सूत्रों का कहना है कि स्वाभिमान मंच के इस निर्णय से भाजपा ही नहीं कांग्रेस में भी जबर्दस्त बेचैनी है और मंच की दमदारी ने दोनों ही प्रमुख दलों में उथल-पुथल मचा दी है।
बहरहाल विधानसभा चुनाव का परिणाम क्या होगा यह तो भविष्य के गर्भ में है, लेकिन दोनों ही दलों के बागियों के तेवर से उथल-पुथल मचना स्वाभाविक है।